Europe Mein Rashtravad Subjective Question : अगर आप 10वीं कक्षा का छात्र हैं। तो आपके लिए यहाँ पर History का Subjective Question दिया गया है। जिसे आप किसी भी समय पढ़ सकते हैं। History VVI Subjective Question PDF Download || Drishti Classes
यूरोप में राष्ट्रवाद ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
Europe Mein Rashtravad Subjective Question
1. इटली के एकीकरण में मेजिनी के योगदान को बतायें।
उत्तर ⇒ इटली के एकीकरण में मेजिनी- मेजिनी को इटली के एकीकरण को पैगम्बर कहा जाता है। वह दार्शनिक, लेखक, राजनेता, गणतंत्र का समर्थक एवं एक कर्मठ कार्यकर्ता था। उसका जन्म 1805 में सार्डिनिया के जिनोआ नगर में हुआ था। 1815 में जब जिनोआ को पिडमौंट के अधीन कर दिया गया, तब इसका विरोध करने वालों में मेजिनी भी था। राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित होकर उसने गुप्त क्रांतिकारी संगठन कार्बोनारी की सदस्यता ग्रहण की।
अपने गणतंत्रवादी उद्देश्यों के प्रचार के लिए मेजिनी ने 1831 में मार्सेई में ‘यंग इटली’ तथा 1834 में बर्न में ‘यंग युरोप की स्थापना की। इसका सदस्य युवाओं को बनाया गया। मेजिनी जन संप्रभुता के सिद्धांत में विश्वास रखता था। उसने ‘जनार्दन जनता तथा इटली’ का नारा दिया। उसका उद्देश्य आस्ट्रिया के प्रभाव से इटली को मुक्त करवाना तथा संपूर्ण इटली का एकीकरण करना था।
2. इटली के एकीकरण में काबूर और गैरीबाल्डी के योगदानों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ इटली का एकीकरण मेजिनी, काबूर और गैरीबाल्डी के सतत प्रयासों से हुआ था।
इटली के एकीकरण में काबूर का योगदान– काबूर का मानना था कि सार्डिनिया के नेतृत्व में ही इटली का एकीकरण संभव थाउसने प्रयास आरंभ कर दिए। विक्टर एमैनुएल के प्रधानमंत्री के रूप में उसने इटली की आर्थिक और सैनिक शक्ति सुदृढ़ की। पेरिस शांति-सम्मेलन में उसने इटली । की समस्या को यूरोप का प्रश्न बना दिया। 1859 में फ्रांस की सहायता से ऑस्ट्रिया को पराजित कर उसने लोम्बार्डी पर अधिकार कर लिया। मध्य इटली स्थित अनेक राज्यों को भी सार्डिनिया में मिला लिया गया।
इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का योगदान- उसका मानना था कि युद्ध के बिना इटली का एकीकरण नहीं होगा। इसलिए, उसने आक्रामक नीति अपनाई। ‘लालकुर्ती’ और स्थानीय किसानों की सहायता से उसने सिसली और नेपल्स पर अधिकार कर लिया। इन्हें सार्डिनिया में मिला लिया गया। वह पोप के राज्य पर भी आक्रमण करना चाहता था, परंतु काबूर ने इसकी अनुमति नहीं दी।
3. जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर ⇒ शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने जर्मनी के एकीकरण के उद्देश्य से ‘ब्रूशेन शैफ्ट’ नामक सभा स्थापित की। वाइमर राज्य का येना विश्वविद्यालय राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र था। 1834 में जर्मन व्यापारियों ने आर्थिक व्यापारिक समानता के लिए प्रशा के नेतृत्व में जालवेरिन नामक आर्थिक संघ बनाया जिसने राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया। 1848 ई० में जर्मन राष्ट्रवादियों ने फ्रैंकफर्ट संसद का आयोजन कर प्रशा के राजा फ्रेडरिक विलियम को जर्मनी के एकीकरण के लिए अधिकृत किया लेकिन फ्रेडरिक द्वारा अस्वीकार कर देने से एकीकरण का कार्य रुक गया।
फ्रेडरिक की मृत्यु के बाद विलियम प्रथम प्रशा का राजा बना। विलियम राष्ट्रवादी विचारों का पोषक था। विलियम ने जर्मनी के एकीकरण के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर महान कूटनीतिज्ञ बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया। बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के लिए “रक्त और लौह की नीति” का अवलंबन किया। इसके लिए उसने डेनमार्क, ऑस्ट्रिया तथा फ्रांस के साथ युद्ध किया। अंततोगत्वा जर्मनी 1871 में एकीकृत राष्ट्र के रूप में यूरोप के मानचित्र में स्थान पाया।
4. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ फ्रेडरिक विलियम चतुर्थ की मृत्यु के बाद प्रशा का राजा विलियम प्रथम बना। वह राष्टवादी था तथा प्रशा के नेतत्व में जर्मनी का एकीकरण करना चाहता था। विलियम जानता था कि आस्टिया और फ्रांस को पराजित किए बिना जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं है। अतः उसने 1862 ई० में ऑटोबॉन बिस्मार्क को अपना चांसलर (प्रधानमंत्री) नियुक्त किया। बिस्मार्क प्रख्यात राष्ट्रवादी और कूटनीतिज्ञ था। जर्मनी के एकीकरण के लिए वह किसी भी कदम को अनुचित नहीं मानता था। Europe Mein Rashtravad Subjective Question
उसने जर्मन राष्ट्रवादियों के सभी समूहों से संपर्क स्थापित कर उन्हें अपना प्रभाव में लाने का प्रयास किया। बिस्मार्क का मानना था कि जर्मनी की समस्या का समाधान बौद्धिक भाषणों से नहीं, आदर्शवाद से नहीं वरन् प्रशा के नेतृत्व में रक्त और लाह को नीति से होगा। 1871 ई० में फ्रैंकफर्ट की संधि द्वारा दक्षिणी रान्य उत्तरी जर्मन महासंघ में मिल गए। अंततोगत्वा जर्मनी 1871 ई० में एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में यूरोप के मानचित्र पर उभरकर सामने आया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण थी।
5. वियना कांग्रेस (सम्मेलन का आयोजन क्यों किया गया ? इसकी क्या उपलब्धियाँ थी?
उत्तर ⇒ वियना कांग्रेस का उद्देश्य नेपोलियन द्वारा यरोप की राजनीति में लाए गए परिवर्तनों को समाप्त करना, गणतंत्र एवं प्रजातंत्र की भावना का विरोध करना एवं पुरातन व्यवस्था की पुनर्स्थापना करना था। इसके द्वारा निम्नलिखित परिवतन किए गए
(i) फ्रांस को नेपोलियन द्वारा विजित क्षेत्रों को वापस लौटाने को कहा गया।
(ii) प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमा पर नए महत्त्वपूर्ण क्षेत्र दिए गए। इटलो को अनेको छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त कर दिया गया।
(iv) रूस को पोलैंड का एक भाग दिया गया।
(V) ब्रिटेन को अनेक क्षेत्र दिए गए।
(vi) जर्मन महासंघ पर आस्ट्रिया का प्रभाव स्थापित किया गया।
(vii) नेपोलियन द्वारा पराजित राजवंशों की पुनर्स्थापना की गई। इस प्रकार वियना कांग्रेस में प्रतिक्रियावादी शक्तियों की विजय हुई, फ्रांसीसी क्रांति की उपलब्धियों को तिलांजलि दे दी गई।
europe me rashtravad class 10th Subjective question
6. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभाव की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ कारण यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना को 1789 की फ्रांसीसी क्रांति तथा नेपोलियन की विजयों ने बढ़ावा दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने कुलीन वर्ग के हाथों से राजनीति को सर्वसाधारण एवं मध्यमवर्ग तक पहुँचा दिया। नेपोलियन ने विजित राज्यों में राष्ट्रवादी भावना जागृत कर दी। साथ ही नेपोलियन के युद्धों और विजयों से अनेक राष्ट्रों में फ्रांसीसी आधिपत्य के विरुद्ध आक्रोश पनपा, जिससे राष्ट्रवाद का विकास हुआ। प्रभाव-18वीं एवं 19वीं शताब्दियों में यूरोप में जिस राष्ट्रवाद की लहर चली, उसके व्यापक और दूरगामी प्रभाव यूरोप और विश्व पर पड़े जो निम्नलिखित थे
(i) राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर अनेक राष्ट्रों में क्रांतियाँ और आंदोलन हुए। इनके फलस्वरूप अनेक नए राष्ट्रों का उदय हआ. जैसे इटली और जर्मनी के एकीकृत राष्ट्र।
(ii) यूरोपीय राष्ट्रवाद के विकास का प्रभाव एशिया और अफ्रीका में भी पड़ा। यूरोपीय उपनिवेशों के आधिपत्य के विरुद्ध वहाँ भी औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए राष्ट्रीय आंदोलन आरंभ हो गए।
(iii) राष्ट्रवाद के विकास ने प्रतिक्रियावादी शक्तियों और निरंकुश शासकों का
प्रभाव कमजोर कर दिया। Europe Mein Rashtravad Subjective Question
7. राष्ट्रवाद के उदय का यूरोप और विश्व पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ 18वीं-19वीं शताब्दी में यूरोप में जिस राष्ट्रवाद की लहर चली गई व्यापक और दूरगामी प्रभाव न केवल यूरोप पर वरन् पूरे विश्व पर पड़ा जो निम्नलिखित
(i) राष्ट्रीयता की भावना से ही प्रेरित होकर अनेक राष्ट्रों में क्रांतियाँ और आंदोलन हए जिसके परिणामस्वरूप अनेक नये राष्ट्रों का उदय हुआ। इटली और जर्मनी का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के उदय का ही परिणाम था।
(ii) राष्ट्रवाद के विकास का प्रभाव एशिया और अफ्रीका में भी देखने को मिला। यूरोपीय उपनिवेशों के आधिपत्य के विरुद्ध वहाँ भी औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए राष्ट्रीय आंदोलन आरंभ हो गए।
(iii) भारतीय राष्ट्रवादी भी यूरोपीय राष्ट्रवाद से प्रभावित हए। पैसूर के टीपू सलतान ने फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर जैकोबिन क्लब की स्थापना की एवं स्वयं इसका सदस्य भी बना।
(iv) धर्मसुधार आंदोलन के भारतीय नेताओं ने भी राष्ट्रवादी भावनाओं से प्रभावित होकर राष्ट्रीय आंदोलनों को अपना समर्थन दिया।
(v) राष्ट्रवाद के विकास ने यूरोप में प्रतिक्रियावादी शक्तियों और निरंकुश शासकों के प्रभाव को कमजोर कर दिया।
(vi) राष्ट्रवाद के विकास का कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ा। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से राष्ट्रवाद ‘संकीर्ण राष्ट्रवाद’ में बदल गया। प्रत्येक राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हित की दुहाई देकर उचित-अनुचित सब कार्य करने लगे।
(vii) राष्ट्रवाद के उदय ने साम्राज्यवादी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया। इस साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण ही ऑटोमन साम्राज्य ध्वस्त हुआ और पूरा बाल्कन क्षेत्र युद्ध का अखाड़ा बन गया।
8. जुलाई, 1830 की क्रांति का विवरण दें।
उत्तर ⇒ जुलाई, 1830 में चार्ल्स- X (दशम) के स्वेच्छाचारी शासन के विरुद्ध फ्रांस में क्रांति की ज्वाला भड़क उठी। फ्रांस में वियना व्यवस्था के तहत क्रांति के पूर्व की व्यवस्था को स्थापित करने के लिए बूर्वो राजवंश को पुनर्स्थापित किया गया तथा लुई 18वाँ फ्रांस का राजा बना। उसने फ्रांस की बदली हुई परिस्थितियों को समझा और फ्रांसीसी जनता पर पुरातनपंथी व्यवस्था को थोपने का प्रयास नहीं किया। उसने प्रतिक्रियावादी तथा सधारवादी शक्तियों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का. प्रयास किया।
उसने संवैधानिक सुधारों की घोषणा भी की। 1824 में उसकी मृत्यु के पश्चात् फ्रांस का राजसिंहासन चार्ल्स दशम को मिला। वह एक स्वेच्छाचारी तथा निरंकुश शासक था जिसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दबाने का कार्य किया। उसके द्वारा प्रतिक्रियावादी पोलिग्नेक को प्रधानमंत्री बनाया गया। पोलिग्नेक ने पूर्व में लुई 18वें द्वारा स्थापित समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना तथा उसे विशेषाधिकारों से विभूषित करने का प्रयास किया।
उसके इस कदम को उदारवादियों ने चुनौती तथा क्रांति के विरुद्ध षड्यंत्र समझा। प्रतिनिधि सदन एवं दूसरे उदारवादियों ने पोलिग्नेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया। चार्ल्स-X ने इस विरोध को प्रतिक्रियास्वरूप 25 जुलाई, 1830 ई० को चार अध्यादेशों द्वारा उदार तत्त्वों का गला घोंटने का प्रयास किया। इन अध्यादेशों के विरुद्ध पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई। 27-29 जुलाई तक जनता और राजशाही में संघर्ष होता रहा। इसे ही जुलाई क्रांति कहते हैं।
9. 1848 की क्रांति के प्रभावों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर ⇒ 1848 की क्रांति के समय फ्रांस का राजा लुई फिलिप था। उसका प्रधानमंत्री गिजो प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी प्रकार के सुधार का विरोधी था। जनता में व्याप्त घोर असंतोष को जब उसने दबाने का प्रयास किया तब क्रोधित जनता ने राजमहल को घेर लिया। फिलिप को किसी से भी सहायता नहीं मिली जिससे विवश होकर वह राजगद्दी छोड़कर इंगलैंड भाग गया। राजा के भागने के बाद क्रांतिकारियों ने फ्रांस में द्वितीय गणराज्य की स्थापना की। नई व्यवस्था के अनुरूप 21 वर्ष से अधिक आयु के सभी वयस्क पुरुषों को मताधिकार मिला।
मजदूरों को काम दिलाने के लिए राष्ट्रीय कारखाने खोले गए, उन्हें बेकारी भत्ता भी दिया गया। इन कार्यों से श्रमिकों की स्थिति में विशेष सुधार नहीं आया, उनका असंतोष बना रहा। गणतंत्रवादियों का नेता लामार्टिन एवं सुधारवादियों का नेता लुई ब्लॉ था। शीघ्र ही दोनों में मतभेद आरंभ हो गया। नवंबर में द्वितीय गणराज्य का नया संविधान बना। लुई नेपोलियन गणतंत्र का राष्ट्रपति बना। 1848 ई० की क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस में एक नए प्रकार के राष्ट्रवाद का उत्थान हुआ जिसका आधार सनिक शक्ति था। 1852 में नेपोलियन ने गणतंत्र को समाप्त कर दिया और स्वयं फ्रांस का सम्राट बन गया। Europe Mein Rashtravad Subjective Question
1848 की क्रांति ने न सिर्फ फ्रांस की पुरातन व्यवस्था का अंत किया बल्कि इटली, जर्मनी, आस्ट्रिया, हॉलैंड, स्वीट्जरलैंड, डेनमार्क, स्पेन, पोलैण्ड, आयरलैंड तथा इगलड भी इस क्रांति से प्रभावित हए। इटली तथा जर्मनी के उदारवाला 7 बढ़ते हुए जन असंतोष का फायदा उठाया और राष्ट्रीय एकीकरण क कीकरण के द्वारा राष्ट्र राज्य की स्थापना की माँगों को आगे बढ़ाया, जो संवैधानिक लोकतत्र लोकतंत्र के सिद्धांत पर आधारित था।
10. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर ⇒ यूनान का अपना गौरवमय अतीत रहा है। यनानी सभ्यता का साहित्यिक प्रगति, विचार. दर्शन. कला. चिकित्सा. विज्ञान आदि क्षेत्र की उपलब्धिया यूनानया के लिए प्रेरणास्त्रोत थे। परंत इसके बावजद भी यनान तर्की साम्राज्य क अधान था। फ्रांसीसी क्रांति से यनानियों में भी राष्टीयता की भावना की लहर जागा। फलतः तुका शासन से स्वयं को अलग करने के लिए आंदोलन चलाये जाने लगे। इसक लिए इन्होंने हितेरिया फिलाडक नामक संस्था की स्थापना ओडेसा नामक स्थान पर काा इसका उद्देश्य ती शासन को यनान से निष्काषित कर उसे स्वतंत्र बनाना था।
क्राति के नेतृत्व के लिए यूनान में शक्तिशाली मध्यम वर्ग का भी उदय हो चुका था। यूनान में विस्फोटक स्थिति तब और बन गई जब तुर्की शासका द्वारा यूनाना स्वतंत्रता संग्राम में संलग्न लोगों को बरी तरह कचलना शरू किया। 1821 ई० में एलेक्जेंडर चिपसिलांटी के नेतत्व में यनान में विद्रोह शरू हो गया। अंतत: 1829 ई० में एड्रियानोपल की संधि द्वारा तुर्की की नाममात्र की अधीनता में यूनान को स्वायत्तता देने की बात तय हुई। फलतः 1832 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया। बवेरिया के शासक ‘ओटो’ को स्वतंत्र यूनान का राजा घोषित किया गया।
परिणाम- यूनानियों ने लंबे और कठिन संघर्ष के बाद ऑटोमन साम्राज्य के अत्याचारी शासन से मुक्ति पाई। यूनान के स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का उदय हुआ। यद्यपि गणतंत्र की स्थापना नहीं हो सकी परंतु एक स्वतंत्र राष्ट्र के उदय ने मेटरनिख की प्रतिक्रियावादी नीति को गहरी ठेस लगाई।
europe mein rashtravad ka uday question answer
11. राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्रीयोजना क्या थी ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ अमेरिकी-वियतनाम युद्ध में अमेरिकी अत्याचार की आलोचना पूरे विश्व में होने लगी। अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने हिन्द-चीन में शांति के लिए पाँच पोजना की घोषणा की जो निम्नलिखित थी
(i) हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहे।
(ii) युद्ध विराम की देखरेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
(iii) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
(iv) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेगी तथा
(v) यद्धं का अंतिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अंत होगा।
प्रभाव- राष्ट्रपति निक्सन के इस शांति प्रस्ताव को स्वीकार कर दिया गया। निक्सन ने पुनः आठ सूत्री योजना रखी जिसे भी सोवियत संघ ने भी अपना प्रभाव बढाना आरंभ कर दिया। 27 फरवरी हस्ताक्षर हो गया। इस तरह से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं अप्रैल 1975 में उत्तरी एवं दक्षिणी वियतनाम का एकीकरण हो गया।