Social Science Class 10th Agriculture Question Answer : मैट्रिक परीक्षा के तैयारी के लिए सामाजिक विज्ञान (social science class 10th के कुछ महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न आपको दिए गए हैं। जो आप के बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तो अगर आप मैट्रिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इस दीर्घ उत्तरीय प्रश्न को एक बार जरूर पढ़ें। कक्षा 10वीं सामाजिक विज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न || PDF Download
कृषि (Agriculture) |
Social Science Class 10th Agriculture Question Answer
1. भारतीय अर्थतंत्र में कषि का क्या महत्त्व है ? कषि की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर -भारतीय अर्थतंत्र में कृषि का निम्नलिखित महत्त्व हैं –
(i) भारत की 70% आबादी रोजगार और आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है।
(ii) देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का योगदान 22% ही है। फिर भी, बहुत सारे उद्योगों को कच्चा माल कृषि उत्पाद से ही मिलता है।
(iii)कृषि उत्पाद से ही देश की इतनी बड़ी जनसंख्या को खाद्यान्न की आपूर्ति होती है।
(iv) अनेक कृषि उत्पाद का भारत निर्यातक है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
(v)कृषि ने अनेक उद्योगों को विकसित होने का अवसर प्रदान किया है।
भारतीय कृषि की विशेषताएँ.-
भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि योग्य है। यहाँ की जलवायु और उपजाऊ मिट्टी कृषि कार्य को बढ़ावा प्रदान करते हैं। भारत में कहीं एक फसल, कहीं दो फसल और कहीं तीन-तीन फसल तक उगायी जाती है।
भारत में फसलों की अदला-बदली भी की जाती है, यहाँ अनाज की फसलों के बाद दलहन की खेती की जाती है। इससे मिट्टी में उर्वरा शक्ति बनी रहती है। यहाँ मिश्रित कृषि का भी प्रचलन है जिसमें गेहूँ, चना और सरसों की खेती एक साथ की जाती है।
2. भारत में कृषि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर- कृषि आदिकाल से किया जानेवाला आर्थिक क्रियाकलाप है। भारत में पायी जानेवाली विविध भौगोलिक एवं सांस्कृतिक परिवेश ने कृषि तंत्र को समय के अनुरूप प्रभावित किया है। भारतीय कृषि के प्रकार निम्नलिखित हैं –
(i) प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि- यह अति प्राचीन काल से की जानेवाली कृषि का तरीका है। इसमें परंपरागत तरीके से भूमि पर खेती की जाती है। खेती के औजार भी काफी परंपरागत होते हैं जैसे लकड़ी का हल, कुदाल, खुरपी। इसमें जमीन की जुताई गहराई से नहीं हो पाती है। कृषि में आधुनिक तकनीक के निवेश का अभाव रहता है। इसलिए उपज कम होती है और भूमि की उत्पादकता कम होने के कारण फसल का प्रति इकाई उत्पादन भी कम होता है। देश के विभिन्न भागों में इस प्रकार की कृषि को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।
(ii) गहन जीविका कृषि- इस कृषि पद्धति को ऐसी जगह अपनाया जा है जहाँ भमि पर जनसंख्या का प्रभाव अधिक है। इसमें श्रम की आवश्यकता और है। परंपरागत कृषि कौशल का भी इसमें भरपूर उपयोग किया जाता है। भमि की उर्वरता को बनाए रखने के लिए परंपरागत ज्ञान, बीजों के रख-रखाव एवं मौसा
संधी अनेक ज्ञान का इसमें उपयोग किया जाता है। जनसंख्या बढ़ने से जोतों का आकार काफी छोटा हो गया है। वैकल्पिक रोजगार के अभाव में भी जरूरत से ज्यादा जनसंख्या इस प्रकार की कृषि में संलग्न है।
(iii)व्यापारिक कृषि- व्यापारिक कृषि में अधिक पूँजी, आधुनिक कृषि तकनीक का निवेश किया जाता है। अत: किसान अपनी लगाई गई पूँजी से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। आधुनिक कृषि तकनीक से अधिक पैदावार देनेवाले परिष्कृत बीज, रासायनिक खाद, सिंचाई, रासायनिक कीटनाशक आदि का उपयोग किया जाता है। इस कृषि पद्धति को भारत में हरित क्रांति के फलस्वरूप व्यापक रूप से पंजाब एवं हरियाणा में अपनाया गया। भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला आदि फसलें मुख्यतः व्यापार के लिए उपजाई जाती है।
Class 10 Geography Agriculture MCQ
3. भारतीय कृषि में उत्पादन को बढ़ाने के उपायों को सुझावें।
उत्तर -भारत में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या का वास हैं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार के कारण कृषि योग्य भूमि को लगातार कमी हो रही है। मानसून की अनिश्चितता से भी कृषि उत्पादन की कमी हो रही है।
उत्पादन की वृद्धि के लिए निम्न उपाए किये जा सकते हैं-
(i) मानसून की अनिश्चितता के कारण उन्नत सिंचाई नहीं हो पाती है। इसके . लिए पंपसेटों, नहरों इत्यादि से सिंचाई की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।
(ii) उर्वरक तथा कीटनाशकों को ग्रामीण इलाकों तक सस्ते दर पर उपलब्ध करानी चाहिए ताकि फसलों की अच्छी प्रगति हो।
(iii) उन्नत बीजों—सामान्य बीजों से प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है। अत: उन्नत बीजों का प्रयोग करनी चाहिए। हरित क्रांति में उन्नत बीजों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
(iv) शस्य गहनता अर्थात् एक ही कृषि वर्ष में एक ही भूमि पर एक से अधिक फसलों के उत्पादन की क्रिया होनी चाहिए।
(v)कृषि के नवीन एवं वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना चाहिए।
4. भारतीय कृषि पर भूमंडलीकरण के प्रभाव की व्याख्या करें।
उत्तर- भूमंडलीकरण का उद्देश्य है हमारे राष्ट्रीय अर्थतंत्र का विश्व अर्थतंत्र से जुड़ना। विश्व का बाजार सबके लिए मुक्त हो। इससे अच्छे किस्म का सामान उचित मूल्य पर कहीं भी पहुँचाया जा सकेगा।
भारतीय कृषि के विकास के लिए उपयुक्त जलवायु मिट्टी और श्रमिकों का । सहारा लेकर किसान उन्नत किस्म के खाद्यान्नों तथा अन्य कृषि उत्पादों को विश्वबाजार में प्रवेश करा सकेंगे। इसमें प्रतिस्पर्धा का सामना होगा। सामना करने के लिए उन्नत तकनीकी उपायों का सहारा लेना होगा। भारतीय कृषि में अधिकाधिक विकास करने की आवश्यकता है।
भूमंडलीकरण भारत के लिए कोई नया कार्य नहीं है। प्राचीन समय से ही | भारतीय सामान विदेशों में जाया करता था और विदेशों से आवश्यक सामग्री । भारतीय बाजारों में बिकते थे। परंतु 1990 से. वैधानिक रूप से भूमंडलीकरण और उदारीकरण की नीति अपनाने के बाद विश्वबाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीक और मशीनों का प्रयोग बढ़ रहा है। साथ ही खाद्यान्नों की । अपेक्षा व्यापारिक फसल के उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है।
Agriculture Class 10 Questions And Answers
5. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर- वैश्वीकरण का अर्थ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ना है। भारतीय कृषि भी 1991 के बाद से इस वैश्वीकरण की नीति से प्रभावित हुई है। विश्व बाजार की मांग के अनुरूप भारतीय किसान फसलों की खता कर विश्व बाजार में प्रवेश करने में सक्षम हो रहा हैं। भारतीय कृषि में कई उल्लेखनीय एवं सकारात्मक परिवर्तन आने लगे हैं। इनमें कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं।-
(i) महिन्द्रा एंड महिंद्रा ग्रुप अपनी मुक्त सेवा प्रारंभ कर छोटे किसानों को बड़ी कंपनियों से जोड़ने का काम कर रहा है।
(ii) पेरिस्क कंपनी पंजाब विश्वविद्यालय के साथ मिलकर राज्य में निर्यात के लिए उत्तम किस्म के टमाटर एवं आलू उत्पादन की योजनाओं पर कार्य कर रही है।
(iii) कई देशी एवं विदेशी निजी कंपनियाँ कपि एवं इसके उत्पादों के विक्रय एवं व्यापार से सक्रिय हो गई है। जैसे—रिलायंस कंपनी।
(iv) विश्व बैंक की सहायता से चार क्षेत्रों के 7 राज्यों में प्रशिक्षण एव कृषि प्रबंधन संस्थाएँ खोली गई हैं।
(v) देश में चावल और गेहँ के साथ ही साथ अन्य कई उत्पादों को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम खोली गई हैं।
6. शुष्क भूमि कृषि की विशेषताओं का वर्णन कर।
उत्तर- शुष्क भूमि कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) इन क्षेत्रों में प्राय: गरीब किसान रहते हैं जो पंजी के अभाव में उन्नत बीज, उर्वरक इत्यादि नहीं खरीद सकते हैं। यही कारण है कि यहा उत्पादन भी कम होता है।
(ii) यहाँ पर शुष्क समय में उपयोग हेतु वर्षा जल के संग्रहण विधि का प्रयोग किया जाता है।
(iii) आर्द्रता की कमी के कारण शुष्क भूमि के क्षेत्रों की मिट्टी में जावाश (ह्यूमस) की मात्रा कम होती है।
(iv) शुष्कता के कारण तेज हवा और आँधी से मिट्टी की ऊपरी परत का कटाव अधिक होता है।
(v) भूमिगत जल के पुनः भरण के लिए तालाबों और छोटे-छोटे अवरोधों से वर्षा जल को व्यर्थ बहने से रोका जाता है।
(vi) कृषि-उत्पादन से आय की जो कमी होती है उसे गाय, बकरी, मुर्गीपालन, रेशम उत्पादन इत्यादि से पूरा किया जाता है।
Agriculture Class 10 in Hindi
7. चावल की फसल के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें।
उत्तर-चावल के उत्पादन की उपयुक्त दशाएँ- धान से चावल बनाया जाता है। धान मानसूनी जलवायु का फसल है जिसके लिए निम्नांकित दशाएँ उपयुक्त होती हैं –
(i) उच्च तापमान (20°C से 30°C के बीच),
(ii) पर्याप्त वर्षा (200 cm वार्षिक वर्षा) कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उत्तम सिंचाई की व्यवस्था आवश्यक होती है,
(iii) समतल भूमि ताकि खेतों में पानी जमा रह सके,
(iv) जलोढ़ दोमट मिट्टी धान की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है,
(v) पर्याप्त सस्ते श्रमिक।
प्रमख उत्पादन क्षेत्र – धान की खेती मुख्यतः गंगा, ब्रह्मपुत्र के मैदान में और डेल्टाई तथा तटीय भागों में की जाती है। इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, उड़ीसा, असम, हरियाणा और केरल। इसकी खेती में लगी सर्वाधिक भूमि पश्चिम बंगाल और बिहार में है। परंतु सिंचाई और खाद के बल पर पंजाब धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन सबसे अधिक करता है। Social Science Class 10th Question
दक्षिण भारत में इसकी खेती में सिंचाई का सहारा लेना पड़ता है। कावेरी, कृष्णा. गोदावरी और महानदी के डेल्टाओं में नहरों का जाल बिछा है जिससे इस क्षेत्र में कहीं दो फसल और कहीं तीन फसल तक धान की खेती की जाती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक है। इसलिए यहाँ से दूसरे राज्यों को चावल भेजा जाता है।
8. गेहँ उत्पादन हेतु मुख्य भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करते हए भारत के गेहूँ उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर – गेहूं भारत की दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्य फसल है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है। इसके उत्पादन हेतु मुख्य भौगोलिक दशाएँ इस प्रकार से हैं –
तापमान – बोते समय 10° – 15° सें ग्रे०
पकते समय 20° – 25° सें ग्रे० .
वर्षा- 75 सेमी०
मृदा – जलोढ़
गेहूँ एक रबी फसल है जो मुख्यतः निम्न क्षेत्रों में उपजाया जाता है। यह उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और बिहार गहू के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। उत्तरप्रदेश भारत का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है। Social Science Class 10th Question
9 .चाय उत्पादन के प्रमुख भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें। भारत के चाय उत्पादक देशों का उल्लेख करें।
उत्तर- चाय मानसूनी जलवायु को चिरहरित झाड़ी है जो 3 मीटर तक ऊँची होती है। इसकी खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ हैं –
(i) ग्रीष्म ऋतु के दौरान 24.30°C तापमान।
(ii) जड़ों में पानी नहीं जमने देने के लिए ढालू भूमि।
(iii) चाय की झाड़ियों को छाया देने के लिए बीच-बीच में छायादार वृक्ष लगाना।
(iv) गहरी दोमट मिट्टी जिसमें लोहांश, फॉस्फोरस एवं पोटाश की प्रधानता हो।
(v) ग्रीष्मकालीन रुक-रुक कर 150-500 सेमी० वर्षा।
(vi) स्त्री श्रमिकों की बहुलता।
उत्पादक क्षेत्र –
(i) उत्तर-पूर्वी राज्य असम, प. बंगाल (दार्जिलिंग)
(ii) दक्षिण का नीलगिरि पर्वतीय क्षेत्र और
(iii) उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र देहरादून, कांगड़ा घाटी एवं कश्मीर घाटी
Agriculture Class 10 Important Questions
10. चाय उत्पादन के प्रमुख भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें। भारत में चाय उत्पादक तीन राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर-चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय फसलें है। यह झाड़ियों की कोमल पत्तियों को संसाधित करके प्राप्त की जाती है। चाय की कृषि के लिए निम्न भौगोलिक दशाएँ आवश्यक होती है –
(i) तापमान–चाय एक उष्ण एवं उपोष्ण फसल है। अतः इसके उत्पादन के लिए 20°C से 30°C तक की तापमान उपयुक्त मानी जाती है।
(ii) वर्षा- चाय के उत्पादन के लिए 150 cm से 200 cm तक की वर्षा उपयुक्त है।
(iii) आर्द्रता- चाय के पत्तियों के विकास के लिए उच्च आर्द्रता होनी चाहिए।
(iv) सस्ते श्रम– चाय की कृषि में पत्तियों को चुना जाता है, तोड़ा जाता है एवं सुखाया जाता है, जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में सस्ते एवं कुशल श्रम की आवश्यकता पड़ती है।
(v) ढालू भूमि–चाय के पौधे के जड़ों में पानी नहीं लगना चाहिए। यही कारण है कि चाय की कृषि ढालू भूमि पर की जाती है। भारत में चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु एवं केरल राज्य में किया जाता है।
11. मकई (उत्पादन) हेतु मुख्य भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें।
उत्तर-मकई एक मोटा अनाज है जो मनुष्य के भोजन एवं पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग होता है। इसके उत्पादन के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता है-
(i) तापमान- 21 से 27° C तक।
(ii) वर्षा- 75 सेंटीमीटर।
(iii) मिट्टी- जलोढ़ इन सबके अलावा कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
12. कपास की खेती के लिए उपयुक्त दशाओं और उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन करें।
उत्तर -कपास की खेती के लिए निम्नांकित दशाएँ उपयुक्त मानी जाती हैं-
(i) उच्च तापमान (21°C से 30°C के बीच),
(ii) तेज धूप और पाला से बचाव (तेज धूप से रेशे चमकदार मजबूत और साफ निकलते हैं,
(iii) कम वर्षा (75 cm से 100 cm तक वर्षा प्रयाप्त है।
(iv) मिट्टी (लावा निर्मित काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। सिंचाई की सविधा होने पर जलोढ़ मिट्टी में भी इसकी अच्छी उपज होती है।
(v) सस्ते श्रमिक
प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- भारत की काली मिट्टी के क्षेत्र में कपास की अच्छी खेती की जाती है। इस मिट्टी में नमी बनाये रखने की क्षमता होती है। यहाँ बिना सिंचाई के ही इसकी खेती की जाती है। इस क्षेत्र के कपास उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, गजरात. कर्नाटक, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश हैं। महाराष्ट्र और गुजरात मिलकर देश का आधा कपास उत्पादन करते हैं।
पंजाब के आस-पास का क्षेत्र सिंचाई के बल पर कपास का उत्पादन करता है। उच्च कोटि के कपास के लिए यह क्षेत्र जाना जाता है। दक्षिण भारत में कावेरी नदी घाटी में सिंचाई की सुविधा. के कारण कपास की अच्छी ऊपज प्राप्त की जाती हैं।
Class 10th Geography Agriculture Chapter Questions
13. मत्स्य पालन के आर्थिक महत्त्व को समझा।
उत्तर-मछलियाँ मनुष्य का एक महत्त्वपूर्ण खाद्य पदार्थ एवं प्रोटीन का स्रोत ह। मत्स्य पालन दो प्रकार से होता है समुद्री जल (खारे पानी का) एवं स्वच्छ जल का। यह भारत के विशेषकर तटीय क्षेत्रों के लोगों की जीविका का महत्त्वपूर्ण साधन है। इससे सकल घरेलू उत्पाद में वद्धि एवं विदेशी मुद्रा की प्राप्ति भी होती है। इसके विकास के लिए नीली क्रांति भी चलाई गई थी। बाद में झींगा मछली के विकास के लिए गुलाबी क्रांति भी चलाई गई। Social Science Class 10th Question
14. भारत की प्रमुख फसलों का वर्णन करें।
उत्तर- भारत की विशालता एवं जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नता के कारण इसके विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जा रही हैं। जो इस प्रकार
(i) खाद्य फसलें- इसमें गेहूँ, चावल, मकई, ज्वार-बाजरा इत्यादि को रखा जाता है। कुल कृषि उत्पादन में इनका योगदान 50 प्रतिशत से भी अधिक है।
(ii) दलहन फसलों में प्रमुख रूप से अरहर, मसूर, उड़द, मूंग, मटर एवं चना प्रमुख हैं। अरहर, उड़द और मूंग खरीफ फसल हैं जबकि मसूर, मटर
और चना रबी फसलें हैं। यह भारतीयों के लिए प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं।
(iii) तिलहन फसलों में सरसों, अलसी, तोरी, तिल, अरंडी एवं मूंगफली को रखी गई है। इसके अलावा सोयाबीन, सूरजमुखी तथा कॉर्नफ्लावर से भी तेल निकाला जाता है। यह वसा तथा विटामिन के मुख्य स्रोत हैं।
(iv) पेय फसलों में चाय एवं कॉफी को रखा गया है। भारत चाय का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। कहवा दूसरा महत्त्वपूर्ण पेय है जो अपनी गुणवत्ता के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
(v) रेशेदार फसलें- कपास एवं जूट भारत की दो प्रमुख रेशेदार फसलें हैं। चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है।
(vi) नकदी फसलें- इसे व्यापारिक फसलें भी कहते हैं। इसका देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में 26 प्रतिशत योगदान है। भारत में नकदी फसलों के अंतर्गत गन्ना, रबर, तंबाकू, मसालें एवं फल प्रमुख हैं। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मसाला उत्पादक एवं निर्यातक देश है।
15. वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है? इसके संग्रहण एवं पुनः चक्रण की विधियों का उल्लेख करें।
उत्तर- हमारे लिए उपयोगी जल की एक बड़ी मात्रा वर्षा जल द्वारा ही पूरी होती है। खासकर हमारे देश की कृषि वर्षाजल पर ही आधारित होती है। पश्चिम भारत खासकर राजस्थान में पेयजल हेतु वर्षाजल का संग्रहण छत पर किया जाता था। प. बंगाल में बाढ़ मैदान में सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाने का चलन था। शक एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए गड्ढों का निर्माण किया जाता था। जिससे मृदा सिंचित कर खेती की जा सके। Social Science Class 10th Question
इसे राजस्थान के जैसलमेर में ‘खरदीन’ तथा अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ के नाम से पुकारा जाता है। राजस्थान के वीरान फलोदी और बाड़मेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में पेयजल का संचय भमिगत टैंक में किया जाता है। जिसे ‘टाँका’ कहा जाता है। यह प्रायः आँगन में हुआ करता है जिसमें छत पर संग्रहित जल को पाइप द्वारा जोड दिया जाता है। मेघालय के शिलांग में छत वर्षाजल का संग्रहण आज भी प्रचलित है। कर्नाटक के मैसर जिले में स्थित गंडाथूर गाँव में छत-जल संग्रहण की व्यवस्था 200 घरों में है जो जल संरक्षण की दिशा में एक मिसाल है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात सहित कई राज्यों में वर्षा-जल संरक्षण एवं पुनः चक्रण किया जा रहा है।
Class 10th Geography Agriculture Chapter Questions Answer
16. भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुपालन के महत्त्व को समझावें।
उत्तर- भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि कार्य में पशओं महत्त्वपर्ण स्थान है। इनकी मदद से खेतों की जुताई, बुआई और कषि जसा ढलाई की जाती है। गाय, भैंस एवं बकरियों से दूध की भी प्राप्ति होती है। में विश्व का लगभग 57.1% भैंसें तथा 16.1% गोधन पाये जाते हैं। श्वेत बाद भारत विश्व का अग्रणी दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। भारत में दा की वद्धि के लिए विश्व बैंक की सहायता से “ऑपरेशन पलड” नामक योजना आरंभ की गई है।
इस प्रकार पशुपालन कृषि कार्य, दुग्ध उत्पादन एवं ग्रामीणों की आय में वति करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
17. भारत के सीमेंट उद्योग का वर्णन करें।
उत्तर- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है। यहाँ पर अनेक प्रकार के सीमेंट का उत्पादन होता है जैसे—पोर्टलैंड, सफेद सीमेंट, स्लैग सीमेंट, आयलवेल, पोर्टलैंड ब्लास्टफर्नेस इत्यादि। यह उद्योग कच्चे माल के निकट स्थापित किया जाता है।
सबसे पहला सीमेंट संयंत्र 1904 ई० में चेन्नई में स्थापित किया गया। यह उद्योग तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश में स्थापित है। आज भारत में 159 बड़े तथा 332 से अधिक छोटे सीमेंट संयंत्र है।
भारतीय सीमेंट की माँग विदेशों में काफी है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता वाला होता है। इसकी माँग दक्षिण एवं पूर्वी एशिया में काफी है। इस समय भारत में 20 करोड़ टन सीमेंट प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा है। Social Science Class 10th Question
18. कृषि उत्पाद में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किये गये उपायों को लिखें।
उत्तर- कृषि उत्पाद में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई प्रकार के उपाय किए गए। जो निम्न हैं –
1984 में विश्व बैंक की सहायता से नदियों के व्यर्थ बह जाने वाले जल को संग्रहित कर कृषि कार्य में उपयोग करने के लिए आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में कार्य प्रारंभ किया गया है। इसी प्रकार फसलों के उत्पादन बढाने के लिए नये प्रोग्राम बनाये गए हैं। जैसे –
(i) ICDP Wheat-इसके अंतर्गत गेहूँ के उत्पादन क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
(ii) ICDP Rice- यह प्रोग्राम चावल के उत्पादन क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बनाया गया है।
(iii) ICDP-Coarse Cereals—यह मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाया गया प्रोग्राम है।
(iv) SUBACS -गन्ना की खेती में निरंतर विकास के लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
(v) SJTP-पटसन की खेती के विशेष विकास के लिए यह प्रोग्राम है।
(vi) Mini-Kits—इसके अंतर्गत न और मोटे अनाजों की उत्तम किस्में किसानों को उपलब्ध करायी जाती है।
Class 10th Agriculture Chapter Question
Class 10th Short Subjective Question Answer |
भारत : संसाधन एवं उपयोग |
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बिहार : कृषि एवं वन संसाधन |
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