Samajwad Avn Samyavad ka Subjective Question : अगर आप 10वीं कक्षा का छात्र हैं। तो आपके लिए यहाँ पर History का Subjective Question दिया गया है। जिसे आप किसी भी समय पढ़ सकते हैं। History VVI Subjective Question PDF Download || Drishti Classes
समाजवाद एवं साम्यवाद ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
Samajwad Avn Samyavad ka Subjective Question
1. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर ⇒ 1917 का 1917 की बोल्शेविक क्रांति के दूरगामी और व्यापक प्रभाव पडे। इसका MAIT न सिर्फ रूस पर बल्कि विश्व के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस क्रांति के रूस पर निम्नलिखित प्रभाव हुए-
(i) स्वेच्छाचारी जारशाही का अंत- 1917 की बोल्शेविक क्रांति के स्वरूप अत्याचारी एवं निरकुश राजतंत्र की समाप्ति हो गई। रोमनोव वंश के शासन की समाप्ति हुई तथा रूस में जनतंत्र की स्थापना की गई।
(ii) सर्वहारा वर्ग के अधिनायकवाद की स्थापना- बोल्शेविक कांति ने की बार शोषित सर्वहारा वर्ग को सत्ता और अधिकार प्रदान किया। नई व्यवस्था भूमि का स्वामित्व किसानों को दिया गया। उत्पादन के साधनों पर निजी के अनुसार भूमि स्वामित्व
समाप्त कर दिया गया। मजदूरों को मतदान का अधिकार दिया गया।
(iii) नई प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना- क्रांति के बाद रूस में एक नई प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की गई। यह व्यवस्था साम्यवादी विचारधारा के अनुकूल थी। प्रशासन का उद्देश्य कृषकों एवं मजदूरों के हितों की सुरक्षा करना एवं उनकी प्रगति के लिए कार्य करना था। रूस में पहली बार साम्यवादी सरकार की स्थापन
(iv) नई सामाजिक- आर्थिक व्यवस्था-क्रांति के बाद रूस में नई सामाजिक आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। सामाजिक असमानता समाप्त कर दी गई। वर्गविहीन समाज का निर्माण कर रूसी समाज का परंपरागत स्वरूप बदल दिया गया।
क्रांति का विश्व पर प्रभाव- रूसी क्रांति का विश्व के दूसरे देशों पर भी प्रभाव पड़ा। ये प्रभाव निम्नलिखित थे
(i) पूँजीवादी राष्ट्रों में आर्थिक सुधार के प्रयास- विश्व के जिन देशों में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था थी। वे भी अब यह महसूस करने लगे कि बिना सामाजिक, आर्थिक समानता के राजनीतिक समानता अपर्याप्त है।
(ii) साम्यवादी सरकारों की स्थापना- रूस के समान विश्व के अन्य देशों चीन, वियतनाम इत्यादि में भी बाद में साम्यवादी सरकारों की स्थापना हुई। साम्यवादी विचारधारा के प्रसार और प्रभाव को देखते हुए राष्ट्रसंघ ने भी मजदूरों की दशा में सुधार लाने के प्रयास किए। इस उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ की स्थापना की गई।
(iii) साम्राज्यवाद के पतन की प्रक्रिया तीव्र- बोल्शेविक क्रांति ने साम्राज्यवाद के पतन का मार्ग प्रशस्त कर दिया। रूस ने सभी राष्ट्रों में विदेशी शासन के विरुद्ध चलाए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन को अपना समर्थन दिया। एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशों से स्वतंत्रता के लिए प्रयास तेज कर दिए गए।
(iv) नया शक्ति संतुलन- रूस के नवनिर्माण के बाद रूस साम्यवादी सरकारों का अगुआ बन गया। दूसरी ओर अमेरिका पूँजीवादी राष्ट्रों का नेता बन गया। इससे विश्व दो शक्ति खंडों में विभक्त हो गया। इसने आगे चलकर दोनों खेमों में सशस्त्रीकरण की होड एवं शीतयद्ध को जन्म दिया।
2. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहदी परिवार में हआ था। समाजवादी विचारधारा को आगे बढाने में कार्ल मार्क्स की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मार्क्स पर रूसो, मॉटेस्क्यू एवं हीगेल के विचारधारा का गहरा प्रभाव था। मार्क्स और एंगेल्स ने मिलकर 1848 में कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो अथवा साम्यवादी घोषणा-पत्र प्रकाशित किया। मार्क्स ने पूँजीवाद की घोर भर्त्सना की और श्रमिकों के हक की बात उठाई। मजदूरों को अपने हक के लिए लड़ने को उसने उत्प्रेरित किया। मार्क्स ने 1867 ई० में “दास-कैपिटल” नामक पुस्तक की रचना की जिसे ‘समाजवादियों का बाइबिल’ कहा जाता है। मार्क्सवादी दर्शन साम्यवाद (Communism) के नाम से विख्यात हुआ।
मार्क्स के सिद्धांत –
(i) द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत
(ii) वर्ग संघर्ष का सिद्धांत
(iii) इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या
(iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
(v) राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना
3. साम्यवाद के जनक कौन थे ? समाजवाद एवं साम्यवाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ साम्यवाद के जनक फ्रेडरिक एंगेल्स तथा कार्ल मार्क्स थे। समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूँजीपति वर्गों द्वारा मजदूरों का शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्गविहिन समाज करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है।
यह एक शोषण-उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। आरंभिक समाजवादियों में सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लाँ तथा राबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ये सभी समाजवादी उच्च और व्यवहारिक आदर्श से प्रभावित होकर ‘वर्ग संघर्ष’ की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय’ की बात करते थे। दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतक ‘साम्यवादी’ कहलाए।
ये लोग समन्वय के स्थान पर वर्ग संघर्ष की बात की। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे वैज्ञानिक समाजवाद कहा जाता है। माक्र्सवादी दर्शन साम्यवाद के नाम से विख्यात हुआ। मार्क्स का मानना था कि मानव इतिहास ‘वर्ग संघर्ष’ का इतिहास है। इतिहास उत्पादन के साध नों पर नियंत्रण के लिए दो वर्गों के बीच चल रहे निरंतर संघर्ष की कहानी है।
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4. समाजवाद के उदय और विकास को रेखांकित करें।
उत्तर ⇒ समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधनिक काल में समाज को एक रूप प्रदान किया। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप समाज में पूंजीपति गोदारा मजदरों का लगातार शोषण अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन्हें इस शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने तथा वर्गविहीन समाज की स्थापना करने में समाजवादी विचारधारा ने अग्रणी भूमिका अदा की। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है।
एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है। समाजवादी विचारधारा की उत्पत्ति 18 वीं शताब्दी के प्रबोधन आंदोलन के दार्शनिकों के लेखों में ढूँढे जा सकते हैं। आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी थे, जिनमें सेंट साइमन, चार्ल्स फूरिए, लुई ब्लाँ तथा रॉबर्ट ओवेन के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। समाजवादी आंदोलन और विचारधारा मुख्यतः दो भागों में विभक्त की जा सकती है – samajwad avn samyavad ka subjective question
(i) आरंभिक समाजवादी अथवा कार्ल मार्क्स के पहले के समाजवादी
(ii) कार्ल मार्क्स के बाद के समाजवादी।
आरंभिक समाजवादी आदर्शवादी या ‘स्वप्नदर्शी’ समाजवादी कहे गए। वे उच्च और अव्यावहारिक आदर्श से प्रभावित होकर “वर्ग संघर्ष” की नहीं बल्कि ‘वर्ग समन्वय’ की बात करते थे। दूसरे प्रकार के समाजवादियों में फ्रेडरिक एंगेल्स, कार्ल मार्क्स और उनके बाद के चिंतन जो ‘साम्यवादी’ कहलाए ने वर्ग समन्वय के स्थान पर ‘वर्ग संघर्ष’ की बात कही। इन लोगों ने समाजवाद की एक नई व्याख्या प्रस्तुत की जिसे “वैज्ञानिक समाजवाद” कहा जाता है।
5. यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ (यूटोपियन) समाजवादी आदर्शवादी थे, उनके कार्यक्रम की प्रवृत्ति अव्यावहारिक थी। इन्हें “स्वप्नदर्शी समाजवादी” कहा गया क्योंकि उनके लिए समाजवाद एक सिद्धांत मात्र था। अधिकतर यूटोपियन विचारक फ्रांसीसी थे जो क्रांति के बदले शांतिपूर्ण परिवर्तन में विश्वास रखते थे अर्थात् वे वर्ग संघर्ष के बदले वर्ग समन्वय के हिमायती थे। प्रथम यूटोपियन (स्वप्नदर्शी) समाजवादी जिसने समाजवादी विचारधारा के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया वह फ्रांसीसी विचारक सेंट साइमन था। उसका मानना था कि राज्य और समाज का पुनर्गठन इस प्रकार होना चाहिए जिससे शोषण की प्रक्रिया समाप्त हो तथा समाज के गरीब तबकों की स्थिति में सुधार लाया जा सके। उसने घोषित किया ‘प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार तथा प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार।
एक अन्य महत्त्वपूर्ण यूटोपियन विचारक चार्ल्स फूरिए था। वह आधुनिक औद्योगिकवाद का विरोधी था तथा उसका मानना था कि श्रमिकों को छोटे नगर अथवा कसबों में काम करना चाहिए। इससे पूँजीपति उनका शोषण नहीं कर पाएंगे। फ्रांसीसी यूटोपियन चिंतकों में एकमात्र व्यक्ति जिसने राजनीति में भी हिस्सा लिया लई ब्लॉ था। उसका मानना था कि आर्थिक सधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार आवश्यक है। यद्यपि आरंभिक समाजवादी अपने आदर्शों में सफल नहीं हो सके, लेकिन इन लोगों ने ही पही बार पूँजी और श्रम के बीच संबंध निर्धारित करने का प्रयास किया।
समाजवाद एवं साम्यवाद question answer
6. लेनिन की नई आर्थिक नीति क्या है ?
उत्तर ⇒ लेनिन एक स्वप्नदर्शी विचारक नहीं, बल्कि वह एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यावहारिक राजनीतिज्ञ था। उसने यह स्पष्ट देखा कि तत्काल पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ सारी पूँजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है, जैसा कि ट्रॉटस्की चाहता था। इसलिए 1921 ई० में उसने एक नई नीति की घोषणा की जिसमें मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करना पड़ा। नई आर्थिक नीति की प्रमुख बातें निम्नलिखित थी- samajwad avn samyavad ka subjective question
(i) किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया। बचा हुआ अनाज किसान का था और वह इसका मनचाहा इस्तेमाल कर सकता था।
(ii) यघपि यह सिद्धांत कायम रखा गया कि जमीन राज्य की है फिर भा व्यवहार में जमीन किसान की हो गई।
(iii) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रूप से चलाने का अधिकार मिल गया।
(iv) उद्योगों का विकेंद्रीकरण कर दिया गया। निर्णय और क्रियान्वयन के बारे में विभिन्न इकाइयों को काफी छुट दी गई।
(v) विदेशी पूँजी भी सीमित तौर पर आमंत्रित की गई।
(vi) व्यक्तिगत संपत्ति और जीवन की बीमा भी राजकीय एजेंसी द्वारा शुरू किया गया।
(vii) विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।
(viii) ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई। लेनिन की नई आर्थिक नीति द्वारा उत्पादन की कमी को नियंत्रित किया गया तथा रूस की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।
7. स्टालिन के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ रूस में सत्ता संभालते ही स्टालिन के समक्ष अनेक विकट समस्याएँ थी। इनमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आर्थिक समस्या थी। अतः सर्वांगीण आर्थिक विकास के लिए स्टालिन ने 1928 में पंचवर्षीय योजना लागू की। तीन पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा आर्थिक विकारा को गति की गई। औद्योगिकीकरण की गति बढ़ी, कृषि का आधुनिकीकरण हुआ तथा वैज्ञानिक प्रगति हुई। श्रमिकों, किसानों और स्त्रियों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया गया। सामूहिक कृषि की व्यवस्था की गई, परंतु यह व्यवस्था सफल नहीं हो सकी। अत: स्टालिन ने राज्य नियंत्रित कृषि फार्म (कोलखोज) खोले। इसका विरोध करनेवालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की गई। साम्यवादी दल के भीतर भी स्टालिन की नीतियों की आलोचना की गई।
अतः इन्हें षड्यंत्रकारी मानकर दंडित किया गया। अनेकों को जेल में बंद कर दिया गया। ट्रॉटस्की सहित अनेक नेताओं को निर्वासित कर दिया गया। लोकतंत्र, भाषण और प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। क्रांति और मार्क्सवाद के आदर्शों की उपेक्षा की गई। इस नीति का कला और साहित्य के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा। स्टालिन ने सर्वाधिकारवाद की नीति अपनाई तथा तानाशाह बन गया। इसके बावजूद स्टालिन ने सोवियत संघ को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में परिणत कर दिया।