स्वामी दयानन्दः

Bihar Board Class 10th Sanskrit स्वामी दयानन्दः Subjective Question || Class 10th Sanskrit स्वामी दयानन्दः Subjective Question

Bihar Board Class 10th Sanskrit स्वामी दयानन्दः Subjective Question : दोस्तों अगर आप Bihar Board Class 10th का Student हैं। और BSEB Class 10th की तैयारी कर रहे हैं। तो यहाँ पर Sanskrit संस्कृत का Subjective Question दिया गया है। जिससे आपको Class 10th की तैयारी करने में काफी आसान हो जायेगा।

Bihar Board Class 10th Sanskrit स्वामी दयानन्दः Subjective Question

स्वामी दयानन्दः उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में आविर्भूत समाजसुधारकों में स्वामी दयानन्द अतीव प्रसिद्ध हैं । इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की जिसकी शाखाएँ देश-विदेश में शिक्षासुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं । शिक्षाव्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी० ए० वी० विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था । इनका जीवनचरित प्रस्तुत पाठ में संक्षिप्त रूप से दिया गया है।

स्वामी दयानन्दः

1. आधनिक भारत को स्वामी दयानंद का क्या योगदान है ?

उत्तर⇒ आधुनिक भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक स्वामी दयानंद हैं। उन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त रूढ़िवादिता को दूर कर एक नये समाज की स्थापना की है। जातिवाद, अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि अनेक विषमताएँ थीं जिनसे समाज ग्रसित था । कर्मकांडी परिवार में जन्म लेने वाले स्वामी दयानंद को शिवरात्रि पर्व की रात्रि में अपने ज्ञान का उद्बोधन हुआ । बहन के निधन के बाद इनमें वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया । विरजानन्द का सान्निध्य पाकर वैदिक ‘धर्मप्रचार एवं सत्य के प्रसार में अपने जीवन को अर्पित कर दिया। भारतवर्ष में इन्होंने राष्टीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथप्रदर्शक का काम किया । दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्ध तत्वज्ञान का प्रचार-प्रसार किया। वैदिक धर्म एवं सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेत किया ।

2. कौन-सी घटना ने स्वामी दयानंद की जीवन दिशा को निर्धारित कर दिया ?

उनर→ स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। पिताजी स्वयं संस्कृत के उत्कट विद्वान् थे। परिवार में कर्मकाण्ड के प्रति आस्था थी। एक दिन शिवरात्रि के शुभ अवसर पर रात्रि जागरण का महोत्सव हुआ। शिव की मूर्ति पर इन्होंने एक चूहे को चहलकदमी करते हुए देखा । इनके मन में तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे। उसी समय इनके मन में मूर्ति पूजा के प्रति अनास्था उत्पन्न हो गई। कुछ दिनों के बाद उनकी प्रिय बहन का निधन हो गया। इन घटनाओं ने ही उनकी जीवन दिशा को बदल दिया। उनमें वैराग्य भाव उत्पन्न हो गया।

3. स्वामी दयानन्दः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उनर→ उन्नीसवीं शताब्दी ईस्वी में आविर्भूत समाजसुधारकों में स्वामी दयानन्द अतीव प्रसिद्ध हैं। इन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कठोर प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की जिसकी शाखाएँ देश-विदेश में शिक्षा सुधार के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं। शिक्षा व्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी० ए० वी० विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था। इनका जीवनचरित प्रस्तुत पाठ में संलिप्त रूप से दिया गया है।

4. स्वामी दयानन्द कौन थे तथा उन्होंने किस तरह के सामाजिक कार्य किए ?

उनर→ स्वामी दयानन्द एक महान समाज-सुधारक संत थे। मध्यकाल में भारत में छुआछूत, अशिक्षा, जातिभेद, धर्म में आडम्बर आदि अनेक कुप्रथाएँ फैली हुई थीं। विधवाओं को काफी कष्ट दिया जाता था। स्वामी दयानन्द ने इन सभी कुरीतियों को दूर करने के लिए आम लोगों के बीच जाकर इन कुरीतियों के खिलाफ जागरण पैदा किया। उन्होंने अपने सिद्धांतों का संकलन ‘सत्यार्थप्रकाश’ नामक ग्रंथ में किया । शिक्षा-पद्धति के दोषों को दूर करने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। इन सभी कार्यों को करने के लिए उन्होंने ‘आर्यसमाज’ नामक संस्था की स्थापना की।

5. स्वामी दयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने ?

उनर→ स्वामी दयानन्द के माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे । महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा इनके परिवार में विशेष रूप में मनाई जाती थी। एक बार महाशिवरात्रि के दिन इन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उनपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। इससे उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते । इस प्रकार वे मूर्तिपूजा के विरोधी हो गए।

6. आर्यसमाज की स्थापना किसने की और कब की? आर्य समाज के बारे में लिखें।

उनर→ आर्यसमाज की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1885 में मुंबई नगर में की । आर्यसमाज वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार पर बल देता है । यह संस्था मूर्तिपूजा का विरोध करती है। आर्यसमाज में नवीन शिक्षा पद्धति को अपनाया । डी०ए०वी० नामक विद्यालयों की समूह की स्थापना की। आज इस संस्था की शाखाएँ-प्रशाखाएँ देश-विदेश के प्रायः हरेक प्रमुख नगर में अवस्थित है।

7. स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए क्या किया ?

उनर→ स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बाल विवाह समाप्त करवाने, मूर्तिपूजा का विरोध और छुआछूत समाप्त कराने का प्रयत्न किया।

8. वैदिक धर्म के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने क्या किया ?

उनर→ वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । वेदों के प्रति सभी अनुयायियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने वेदों के उपदेशों को संस्कृत एवं हिंदी में लिखा ।

Class 10th Sanskrit Subjective Question 
📕पाटलिपुत्र वैभवम
📕अलसकथा
📕संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः
📕भारतीयसंस्काराः
📕कर्मवीर कथा
📕स्वामी दयानन्दः
📕व्याघ्रपथिक कथा
📕विश्वशांति