विश्वशांति Subjective

Bihar Board Class 10th Sanskrit विश्वशांति: Subjective Question || Class 10th Sanskrit विश्वशांति: Subjective Question

Bihar Board Class 10th Sanskrit विश्वशांति: Subjective Question : दोस्तों अगर आप Bihar Board Class 10th का Student हैं। और BSEB Class 10th की तैयारी कर रहे हैं। तो यहाँ पर Sanskrit संस्कृत का Subjective Question दिया गया है। जिससे आपको Class 10th की तैयारी करने में काफी आसान हो जायेगा।

Bihar Board Class 10th Sanskrit विश्वशांति: Subjective Question

विश्वशान्तिः आज विश्वभर में विभिन्न प्रकार के विवाद छिड़े हुए हैं जिनसे देशों में आन्तरिक और बाह्य अशान्ति फैली हुई है। सीमा, नदी-जल, धर्म, दल इत्यादि को लेकर स्वार्थप्रेरित होकर असहिष्णु हो गये हैं । इससे अशान्ति का वातावरण बना हुआ है। इस समस्या को उठाकर इसके निवारण के लिए इस पाठ में वर्त्तमान स्थिति का निरूपण किया गया है ।

विश्वशांति:

1.’ ‘विश्वशान्तिः’ पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

उत्तर- विश्वशान्तिः शब्द का शाब्दिक अर्थ विश्व की शान्ति है। आज सर्वत्र ईर्ष्या, द्वेष, असहिष्णुता, अविश्वास, असंतोष आदि जैसे दुर्गुण विद्यमान हैं। ये दुर्गुण जहाँ विद्यमान हो वहाँ की शान्ति की कल्पना कैसे की जा सकती है। शान्ति भारतीय दर्शन का मूल तत्व है। यह शान्ति धर्ममूलक है। धर्मों रक्षित रक्षितः-ऐसा प्राचीन संदेश विश्व का अस्तित्व और रक्षा के लिए ही प्रेरित है। इस पाठ का मुख्य उद्देश्य, व्यक्ति, समाज और राष्ट्रों को आपसी द्वेष, असंतोष आदि से दूर कर शान्ति, सहिष्णुता आदि का पाठ पढ़ाना है।

2. अशान्ति का प्रमुख कारण कौन-कौन है ? तथा इसका निदान क्या है ?

उत्तर- अशान्ति का प्रमुख कारण द्वेष और असहिष्णुता है। आज हर देश दसेरे देश की उन्नति को देखकर ईर्ष्या की अग्नि से जल रहा है। उसकी उन्नति को नष्ट करने के लिए छल-प्रपंच आदि का सहारा ले रहा है। आयुधों की होड़ में आज मानवता विनष्ट हो रही है। निर्वैर से शान्ति की कल्पना की जा सकती है। अतः परोपकार, सहिष्णुता आदि को धारण कर ही अशान्ति को दूर किया जा सकता है।

3. विश्वशान्तिः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- आज विश्वभर में विभिन्न प्रकार के विवाद छिड़े हुए हैं जिनसे देशों में आंतरिक और बाह्य अशांति फैली हुई है । सीमा, नदी-जल, धर्म, दल इत्यादि को लेकर स्वार्थप्रेरित होकर असहिष्णु हो गये हैं। इससे अशांति का वातावरण बना हुआ है। इस समस्या को उठाकर इसके निवारण के लिए इस पाठ में वर्तमान स्थिति  का निरूपण किया गया है।

4. वर्तमान में विश्व की स्थिति का वर्णन करें।

उत्तर- वर्तमान में प्रायः विश्व के सभी देशों में अशांति और कलह छाए हुए हैं। कुछ देशों में आंतरिक समस्याएँ हैं तो कुछ देशों में परस्पर शीतयुद्ध चल रहे हैं। संपूर्ण संसार में अशांति के कारण मानवता का विनाश हो रहा है । विध्वंसकारी अस्त्रों द्वारा मानवता के विनाश का भय सर्वत्र व्याप्त है।

5. अशांति के मूल कारण क्या हैं ?

उत्तर- वास्तव में अशांति के दो मूल कारण हैं-द्वेष और असहिष्णुता । एक देश दूसरे देश की उन्नति देख जलते हैं, और इससे असहिष्णुता पैदा होती है। ये दोनों दोष आपसी वैर और अशांति के मूल कारण हैं।

6. संसार में अशांति कैसे नष्ट हो सकती है ? ( अथवा, विश्व अशान्ति का क्या कारण है ? तीन वाक्यों में हिन्दी में उत्तर दें।

उत्तर- अशांति के मूल कारण हैं-द्वेष और असहिष्णुता । स्वार्थ से यह अशांति बढ़ती है। इस अशांति को वैर से नहीं रोका जा सकता । करुणा और मित्रता से ही वैर नष्ट कर संसार में शांति लाई जा सकती है।

7. विश्व शांति के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

उत्तर- केवल उपदेश से विश्व शांति नहीं होगी। हमें उपदेशों के अनुसार आचरण करना होगा । हमलोग जानते हैं कि क्रिया के बिना, अर्थात व्यवहार के बिना ज्ञान भार-स्वरूप है । वैर कभी भी वैर से शांत नहीं होता। हमें निर्वैर दया, परोपकार, सहिष्णुता और मित्रता का भाव दूसरों के प्रति रखनी होगी, तभी विश्वशांति हो सकती है।

8. विश्व में शांति कैसे स्थापित हो सकती है ?

उत्तर- विश्व में शांति का आधार एकमात्र परोपकार है। परोपकार की भावना मानवीय गुण है । संकटकाल में सहयोग की भावना रखना ही लक्ष्य हो तभी हम निर्वेर, सहिष्णुता और परोपकार से शांति स्थापित कर सकते हैं।

9. ‘विश्वशांति’ पाठ के आधार पर भारतीय दर्शन का मूल तत्त्व बतलाएँ।

उत्तर- भारतीय दर्शन का मूल तत्त्व शांति है। इसमें संदेह नहीं, क्योंकि धर्म का आधार भी शांति ही है। इसी भाव से विश्व की रक्षा तथा कल्याण संभव है इसलिए हमें जन जागरण द्वारा सहिष्णुता, परोपकार और निर्वेर के महत्त्व पर प्रकाश डालना चाहिए।

Class 10th Sanskrit Subjective Question 
📕पाटलिपुत्र वैभवम
📕अलसकथा
📕संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः
📕भारतीयसंस्काराः
📕कर्मवीर कथा
📕स्वामी दयानन्दः
📕व्याघ्रपथिक कथा
📕विश्वशांति