Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 2 Long & Subject Questions

Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 2 Long & Subject Questions

Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 2 Subject Questions : दोस्तों यदि आप 12th Class का परीक्षा दे रहे हैं तो या देने वाले हैं तो उन सभी विद्यार्थियों के लिए यहां पर 12th Class का हिंदी का लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है।

Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 2 Subject Questions

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Bihar Board Class 12th Hindi Chapter 2 (उसने कहा था) लघु उत्तरीय प्रश्न


1. ‘उसने कहा था’ कहानी का केंद्रीय भाव क्या है?

उत्तर :- इस कहानी का केंद्रीय भाव है साहचर्यजनिक कालचित्र पर पड़े आकर्षण की पारस्परिकता में विश्वासपूर्ण दिव्य प्रेम के आविर्भाव का चित्रण। दिव्य प्रेम साहचर्य-जनित नैतिक अनुभूति है, जिसमें इसके प्रदर्शन की नहीं, गोपनीय ढंग से जीने की अभिलाषा होती है।

2. फिरंगी मेम के बाग में क्या-क्या था?

उत्तर :- फिरंगी मेम के बाग में मखमल की सी हरी घास है।

3. लपटन साहब (उसने कहा था कहानी का पात्र) की जेब से क्या बरामद हुआ था?

उत्तर :- ‘लपटन साहब’ ने जेब से बेल के बराबर तीन गोले निकाले।

4. लहना सिंह ने बोधा के प्रति किस त्याग का परिचय दिया था?

उत्तर :- लहना सिंह ने बोधा के प्रति विशुद्ध प्रेम, त्याग एवं बलिदान का आदर्श स्थापित किया है। इसमें यह पूर्णरूपेण सफल भी रहा है।

5. बोधा सिंह कौन है?

उत्तर :- बोधा सिंह ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी के सूबेदार हजारा सिंह का पुत्र है।

6. लहना सिंह के प्रेम के बारे में लिखिए।

उत्तर :- कहानी अमृतसर के भीड़-भरे बाजार से शुरू होती है, जहाँ बारह बरस का लड़का (लहना सिंह) आठ वर्ष की एक लड़की को ताँगे के नीचे आने से बचाता है। लड़का लड़की को यह पूछते हुए छेड़ता है- “तेरी कुड़माई (मंगनी) हो गई है,” लड़की धत् कहकर भाग जाती है किन्तु एक दिन धत् कहने के बजाय कहती है- “हाँ कल ही हो गई। देखते नहीं यह रेशम के फूलों वाला शालू।” लहना सिंह हतप्रभ रह जाता है। कहानी आगे बढ़ती है। लहना फौज में भर्ती है। लड़की का विवाह सेना के सूबेदार से हो जाता है तथा लहना सिंह को इसकी जानकारी होती है। सूबेदारिन सेना में भरती अपने एकमात्र पुत्र बोधा सिंह एवं पति सूबेदार हजारा सिंह की युद्ध में रक्षा का वचन लहना सिंह से लेती है। लहना सिंह ने युद्ध में अपने प्राणों की बलि देकर उनलोगों की रक्षा की। यही उसका वास्तविक प्रेम था।

BSEB Class 12th Hindi Chapter 2 (उसने कहा था) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. लहना सिंह का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर :- लहना सिंह ब्रिटिश सेना का एक सिक्ख जमादार है। वह भारत से दूर विदेश (फ्राँस) में जर्मन सेना के विरुद्ध युद्ध करने के लिए भेजा गया है। वह एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक है। अदम्य साहस, शौर्य एवं निष्ठा से युक्त वह युद्ध के मोर्चे पर डटा हुआ है। विषम परिस्थितियों में भी कभी वह हतोत्साहित नहीं होता। अपने प्राणों की परवाह किए बिना वह युद्धभूमि में खंदकों में रात-दिन पूर्ण तन्मयता के साथ कार्यरत रहता है। कई दिनों तक खंदक में बैठकर निगरानी करते हुए जब वह ऊब जाता है तो एक दिन वह अपने सूबेदार से कहता है कि यहाँ के इस कार्य (ड्यूटी) से उसका मन भर गया है, ऐसी निक्रियता से वह अपनी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। वह कहता है- “मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुक्म मिल जाए, फिर सात जर्मन को अकेला मारकर न लौहूँ तो मुझे दरवार साहव की देहली पर मत्था टेकना नसीव न हो।” उसवै इन शब्दों में दृढ़ निश्चय एवं आत्मोत्सर्ग की भावना निहित है। वह शत्रु से लोहा लेने के लिए इतना ही उत्कंठित है कि उसका कथन जो इन शब्दों में प्रकट होता है- “विना फेरे घोड़ा विगड़ता है और विना लड़े सिपाही।” शत्रु की हर चाल को विफल करने की अपूर्व क्षमता एवं दूरदर्शिता उसमें थी।

2. ‘उसने कहा था’ कहानी का सारांश लिखें।

उत्तर :- प्रस्तुत कहानी ‘उसने कहा था’ ब्रिटिश सेना में कार्यरत एक फौजी की कहानी है। ब्रिटिश फौज की सिक्ख रेजीमेंट के एक जमादार लहना सिंह के अपूर्व शौर्य, एक सैनिक की महत्त्वाकांक्षा एवं मनोदशा की सफल अभिव्यक्ति है यह कहानी। अदम्य साहस का इस कहानी में पं० चद्रधर शर्मा गुलेरी ने सजीव चित्रण किया है। बारह वर्ष की आयु में (किशोरावस्था) लहना सिंह अपने मामा के यहाँ आया था। उसकी भेंट एक आठ वर्ष की बालिका से एक दुकान पर होती है। वह भी अपने मामा के घर आई हुई थी। इस बीच उसकी मुलाकात उस लड़की से प्रायः बाजार में हो जाया करती थी। वह उससे पूछ बैठता था कि उसकी शादी पक्की हो गई। उत्तर में लड़की शरमाकर धत् कहकर चली जाती थी। एक दिन उसके पूछने पर उस लड़की ने कहा कि कल (एक दिन पहले) उसकी सगाई हो गई है। यह सुनकर वह काफी उद्विग्न हो उठा। कालान्तर में लहना सिंह ब्रिटिश फौज के सिक्ख रेजीमेन्ट में भरती हो गया। बीच में वह छुट्टी लेकर घर आया हुआ था। लड़ाई पर जाते समय वह सूबेदार हजारा सिंह के घर पर रुका। सूबेदार की पत्नी पर दृष्टि जाते ही वह स्तम्भित रह गया। सूबेदार की पत्नी वही बालिका थी जिसपर वह अपने ननिहाल में आसक्त हो गया था। सूबेदार की पत्नी ने उससे आग्रह किया कि उसके पति एवं एकमात्र पुत्र जो सिक्ख रेजिमेंट में कार्यरत हैं, उनकी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखेगा। युद्ध क्षेत्र में ‘लहना सिंह’ ने अद्वितीय शौर्य का परिचय दिया। शत्रुओं की जर्मन सेना के आक्रमण को निष्फल कर दिया एवं अपने साथियों के सहयोग से बड़ी संख्या में उन्हें मार गिराया। हताहत किया। किन्तु स्वयं भी गंभीर रूप से घायल हो गया। सूबेदार को भी गोली लगी थी। डॉक्टरों की राहत टीम के आने पर जमादार ने स्वयं न जाकर सूबेदार एवं अन्य लोगों को गाड़ी पर भिजवा दिया। वह आत्म-संतोष से गर्वित था। उसने सूबेदार की पत्नी द्वारा किए गए आग्रह एवं दिए गए वचन का पूरी तरह पालन किया। अन्ततः उसका प्राणांत हो गया। किन्तु उसके मुखारबिन्द पर गौरव, स्वाभिमान तथा आत्मोत्सर्ग का भाव स्पष्ट दीख रहा था। गुलेरी ने कहानी का शीर्षक सर्वथा उपयुक्त एवं सार्थक दिया है, क्योंकि सूबेदार की पत्नी ने अपने पति एवं पुत्र की सुरक्षा करने के लिए उससे कहा था।

Class 12th Hindi Chapter 2 (उसने कहा था) सप्रसंग व्याख्यात्मक प्रश्न

1. बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही।

उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति पं० चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ लिखित कहानी ‘उसने कहा था’ से उद्धृत है। जर्मन सेना से मोर्चा लेनेवाली ब्रिटिश सेना में कार्यरत जमादार लहना सिंह की यह उक्ति है। उसके शरीर रगों में युद्ध करने की आतुरता है। वह चाहता है कि उसके उच्च अधिकारी उसके साथ तैनात सैनिकों को शत्रु पर आक्रमण करने की अनुमति दें। मोर्चे पर निष्क्रिय डटे रहने से वह क्षुब्ध है अतः उसका कथन है कि घोड़े को फेरे बिन वह बिगड़ जाता है तथा बिना युद्ध किए सिपाही की क्षमता भी कुन्द हो जाती है।

इस प्रकार उपर्युक्त गद्यांश में एक सैनिक की मानसिकता का सशक्त निरूपण है। उसकी भुजाएँ युद्ध करने हेतु फड़कती हैं तथा वह अपने शौर्य का प्रदर्शन करना चाहता है।

2. “मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है। जन्म भर की घटनाएँ एक-एक करके सामने आती हैं।”

उत्तर :- प्रस्तुत पंक्तियों में मानव जीवन की प्रवृत्तियों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण अत्यन्त सफलतापूर्वक किया गया है। विद्वान लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि मृत्यु के कुछ समय पूर्व मानव की स्मरण शक्ति अत्यन्त स्पष्ट हो जाती है। उसे अपने विगत जीवन की समस्त घटनाओं की स्मृति सहज हो जाती है। अतीत के चित्र उसके नेत्र के सामने चलचित्र की भाँति नाचने लगते हैं। उसपर जमी हुई समय की धुन्ध हट जाती है तथा वह उन्हें सहज ढंग से देख एवं अनुभव कर सकता है। विद्वान लेखक श्री गुलेरी ने उक्त बातें इसी संदर्भ में वर्णित की है। इस प्रकार प्रस्तुत पंक्तियों में मृत्यु के समय में मानव-मन की स्वाभाविक प्रक्रिया का वर्णन है। कथन के अनुसार जमादार लहना सिह मृत्यु-शैय्या पर अपने जीवन की अंतिम घड़ियाँ गिन रहा है, उस समय उसे विगत की सम्पूर्ण बातें याद आने लगती हैं जो इतनी स्पष्ट है कि इससे पहले उसे कभी ऐसी अनुभूति नहीं हुई थी