Social Science Class 10th Nirmaan Udyog Subjective Question : मैट्रिक परीक्षा के तैयारी के लिए सामाजिक विज्ञान (social science class 10th के कुछ महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न आपको दिए गए हैं। जो आप के बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। तो अगर आप मैट्रिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो इस दीर्घ उत्तरीय प्रश्न को एक बार जरूर पढ़ें। कक्षा 10वीं सामाजिक विज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न || Social Science Class 10th Nirmaan Udyog Subjective Question || PDF Download
निर्माण उद्योग |
Social Science Class 10th Nirmaan Udyog Subjective Question
1. उद्योगों का विकास क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- उद्योगों के विकास से लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठता है। भारत में कृषि पर आधारित अनेक उद्योग स्थापित हैं। जैसे सूती-वस्त्र, चीनी उद्योग, चाय, कॉफी, जूट उद्योग आदि। कुछ उद्योग कृषि के विकास में लगे हैं, जैसे उर्वरक उद्योग। उद्योगों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए उच्च कोटि की कार्यकुशलता और प्रतिस्पर्धा लाने की आवश्यकता है। जब तक औद्योगिक उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नहीं होगा, तब तक अन्य देशों से हम प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। विदेशी मुदा अर्जित करने के लिए हमें ऐसा करना जरूरी है। विदेशी मुद्रा अर्जित कर राष्ट्रीय संपत्ति बढ़ा सकते हैं और देश को खुशहाल बना सकते हैं।
2. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से आप क्या समझते है ? वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसकी व्याख्या करें।
उत्तर- उदारीकरण- उद्योग को स्थापित करने के लिए एवं व्यापार को सरल एवं व्यापक बनाने के लिए नियमों एवं पाबंदियों को लचीला बनाना उदारीकरण है। इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होती है, जिससे उपभोक्ता को सस्ता एवं गुणवत्तापूर्ण सामग्री की प्राप्ति सरल रूप में हो जाती है।
निजीकरण- जब किसी उद्योग का प्रबंधन का नियंत्रण किसी निजी व्यक्ति या सहकारी समिति के हाथ में होती है तो यह व्यवस्था निजीकरण कहलाती है। इससे किसी प्रतिष्टान पर सरकारी एकाधिकार कम या सीमित हो जाता है।
वैश्वीकरण- देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ने की प्रक्रिया वैश्वीकरण कहलाती है। इससे प्रत्येक देश बिना किसी प्रतिबंध के पूँजी, तकनीक एवं व्यापारिक आदान-प्रदान करने में सक्षम हो पाता है। इस प्रक्रिया द्वारा भारत भी विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था से जुड़ सकेगा।
वैश्वीकरण द्वारा भारत को किसी वस्तु के आयात-निर्यात में छूट, सीमा शुल्क में कमी, विदेशी पूँजी का मुक्त प्रवाह, बैंकिंग, बीमा, जहाजरानी क्षेत्रों में पूँजी निवेश, रुपयों को पूर्ण परिवर्तनशील बनाने जैसे लाभ मिल सकेंगे। इन उद्देश्यों की पूर्ति होने पर भारतीय अर्थव्यवस्था में कई सुधार हुए हैं। या यह कह सकते हैं कि वैश्वीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी गतिशील बनाया है।
mcq questions for class 10 social science with answers pdf
3. उद्योगों की स्थापना के विभिन्न कारकों का विस्तत वर्णन करें।
उत्तर-किसी स्थान पर उद्योगों को स्थापित करने के लिए कुछ अनिवार्य सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
इन्हें उद्योग स्थापना के कारक कहते हैं, जैसे –
(i) कच्चामाल- इसे ही प्रयोग कर विभिन्न प्रकार की वस्तओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे गन्ना से चीनी, कपास से सूती वस्त्र, बॉक्साइट से एलुमिनियम इत्यादि।
(ii) शक्ति के साधन- इसके अंतर्गत ऊर्जा के स्रोतों को रखा जाता है जिसकी सहायता से मशीनें चलती हैं। इसमें ताप एवं जल विद्युत के स्रोतों – को रखा जाता है।
(iii) संचार के साधन – कच्चा माल को कारखाने तक एवं तैयार मालों को बाजार तक पहुँचाने के लिए सड़क, रेल एवं जल परिवहन का प्रयोग होता है।
(iv) श्रमिक– इसके विकास के लिए कुशल एवं सस्ते श्रमिकों की भी आवश्यकता पड़ती है।
(v) बाजार– बाजार में माँग के अनुसार ही वस्तुओं का उत्पादन तय किया जाता है।
(vi) पूँजी- मशीनों को लगाने, कच्चे माल खरीदने, श्रमिकों का वेतन देने तथा बाजार तक पहुँचाने के लिए एक बड़ी पूँजी की आवश्यकता पड़ती है।
4. भारत में औद्योगिक विकास की समस्याओं का उल्लेख करें।
उत्तर -कषि प्रधान भारतवर्ष में औद्योगिक विकास भी तेजी से हो रहा है। औद्योगिक विकास से कई समस्याएँ दूर हो सकती हैं। किंतु विकास के राह में अनेकों समस्याएँ सामने आती है। जिनमें कुछ समस्या निम्नलिखित हैं-
(i) कई ऐसे उद्योग है जिनमें आधुनिक संयंत्र नहीं हैं जिससे उत्पादन कम होता है। जैसे—उत्तर भारत की चीनी मिलें और पश्चिम बंगाल की जुट मिलों में।
(ii) कुछ उद्योगों के गौण उत्पादों का समुचित उपयोग होना चाहिए। जैसे- रबर की बढती माँग को देखकर खनिज तेल के अवांछनीय पदार्थों से रासायनिक रबर तैयार किये जा सकते हैं।
(iii) कुछ क्षेत्रों में प्राकृतिक संपदा का उपयोग उद्योगों के विकास में नहीं हो पा रहा है। जैसे उत्तरी-पूर्वी राज्यों में कागज़ बनाने की संपदा उपलब्ध है जिसका उपयोग न कर कागज का आयात किया जाता है।
(iv) कुंटीर उद्योग और लघु उद्योग का पुनर्गठन आधुनिक ढंग से नहीं किया जा रहा है।
(v) यातायात के साधनों का विकास होना चाहिए। अभी भी बहुत सारे क्षेत्र रेल साधनों से वंचित हैं।
(vi) औद्योगिक केंद्रों को भरपूर बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए। ब्रेकडाउन पर नियंत्रण करना चाहिए।
(vii) औद्योगिक क्षेत्रों में राजनीतिक माहौल बिगड़ता जा रहा है जिससे श्रमिकों की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसपर नियंत्रण की आवश्यकता है।
Nirman Udhog Subjective Question Class 10th
5.भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के योगदान का विस्तार पूर्वक वर्णन करें।
उत्तर- भारत में सकल घरेलू उत्पाद में निर्माण उद्योग का योगदान 17% है। पिछले दशक में भारतीय निर्माण उद्योग में 7% की दर से वृद्धि हुई है। अगले दशक में यह वद्धि दर 12% होने की आशा है। 2007-2008 में विकास की दर 9-10 प्रतिवर्ष हो गई। 12 प्रतिशत वृद्धि की दर पूरा करने के लिए राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्दा परिषद की स्थापना की गई है। अर्थशास्त्रियों के अनुमान के अनुसार (नई) औद्योगिक नीतियों से अगले दशक में वृद्धि दर और बढ़ने की आशा है।
किसी भी देश की प्रगति वहाँ के औद्योगिक विकास पर निर्भर करती है। उद्योग, प्राकृतिक संसाधन के मूल्य वृद्धि में सहायक होता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में औद्योगिकीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया गया और कई बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना की गई। आज भारत कच्चा माल का निर्यातक नहीं, बल्कि निर्मित माल का निर्यातक बन गया है।
राष्ट्रीय आय का बड़ा भाग उद्योग से प्राप्त होता है। उद्योगों में लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त है। औद्योगिक प्रगति से कृषि का भी विकास हुआ है। आज हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में स्वयं सक्षम हैं। आज भारत इस स्थिति में है कि वह विदेशों में औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए परामर्श सेवाओं के साथ प्रबंधक मुहैया करने में सक्षम है।
6. भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर-सूती वस्त्र उद्योग देश का काफी प्राचीन उद्योग है जिसमें लगभग 3.5 करोड़ लोग लगे हुए हैं। इस उद्योग का पहला कारखाना 1854 में मुंबई में स्थापित किया गया। आज इस उद्योग के देश में लगभग 18,46 से अधिक मिले हैं। सर्वाधिक मिलें महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु एवं पश्चिम बंगाल में हैं।
दक्षिण भारत में जलशक्ति के विकास के कारण इस उद्योग का विकेंद्रीकरण हुआ है। सूती-वस्त्र उद्योग के कारखाने आरंभ में कपास उत्पादक क्षेत्रों में लगाए गए, बाद में इसका विकेंद्रीकरण पूरे देश में हुआ है। 1950-51 में लगभग 4 अरब मीटर कपड़ा तैयार किया गया जो आजकल 53 अरब मीटर हो चुका है।
वर्तमान में इस उद्योग के केंद्र मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, कानपुर, चेन्नई, बड़ोदरा, कोयंबटूर, मदुरै, ग्वालियर, सूरत, मोदीनगर, शोलापुर, इंदौर, उज्जैन, नागपुर हैं। देश में कुल सूती वस्त्र मिलों का 80% निजी क्षेत्र में और शेष सार्वजनिक एवं सहकारी क्षेत्र में है। देश का 25% सूती-वस्त्र तैयार करने के कारण मुंबई को ‘कॉटनोपोलिस’ कहा जाता है।
देश के इस वृहत उद्योग का औद्योगिक उत्पादन में 14%, सकल घरेलू उत्पादन में 4% तथा विदेशी आय में 17% से अधिक योगदान है। इतना महत्त्वपूर्ण होते हुए भी आज यह उद्योग कई समस्याओं से गुजर रहा है। फिर भी, 1999-2000 में देश से 577 अरब रुपये मूल्य के सूती वस्त्र का निर्यात किया गया। कुल निर्यात में वस्त्र उद्योग की भागीदारी 30% है।
Class 10th Social Science Subjective Question Answer
7. भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विकास किन क्षेत्रों में और किन कारणों से हुआ है? विस्तृत विवरण दें।
उत्तर- भारत सूती वस्त्र का निर्माता प्राचीन काल से रहा है। वर्तमान समय में औद्योगिक उत्पादन में इसका 20% योगदान है। इस उद्योग में लगभग डेढ़ करोड़ लोग लगे हैं। भारत में कुल निर्यात में इसका योगदान 25% सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना सबसे अधिक महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में हुआ है। महाराष्ट्र में 122 कारखाने स्थापित है। केवल मुंबई महानगर में 62 कारखाने स्थापित है। गुजरात दूसरा बड़ा वस्त्र उत्पादक राज्य है। यहाँ 120 कारखाने स्थापित है जिनमें 72 कारखाने अहमदाबाद में स्थापित हैं।
महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण है कपास की पर्याप्त उपलब्धता, कपास एवं मशीनरी के आयात निर्यात की सुविधा बंबई और कांडला बंदरगाह से प्राप्त है। कुशल कारीगर की उपलब्धता है। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल में भी सूती वस्त्र उद्योग का अच्छा विकास हुआ है। इन जगहों पर सस्ते श्रमिक, परिवहन के साधन, जल विद्युत की सुविधा उपलब्ध होने के कारण विकास में मदद मिला है।
8. भारत में चीनी उद्योग के विकास और कारणों पर प्रकाश डाले।
उत्तर -चीनी उद्योग कृषि पर आधारित उद्योग है। इसका कच्चा माल गन्ना है। अतः अधिकतर चीनी मिलें गन्ना उत्पादक राज्यों में मुख्य रूप से स्थापित की गयी है। उत्तर भारत में उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा राज्यों में चीनी की मिलें स्थापित की गयी हैं उत्तरप्रदेश में चीनी की लगभग 100 मिले हैं। यहाँ इसके लिए निम्नांकित सुविधा उपलब्ध हैं।
(i) गन्ने की अच्छी खेती,
(ii) परिवहन की अच्छी व्यवस्था, ‘
(iii) सस्ते श्रमिक और घरेलू बाजार।
1960 तक यह देश का प्रथम उत्पादक राज्य था। परंतु अब उत्पादन घट कर एक-चौथाई पर आ गया है।
बिहार राज्य में चीनी की बीसों मिलें स्थापित है, परंतु उत्पादन कम है। उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा राज्य में भी एक दर्जन से अधिक चीनी की मिलें स्थापित हैं।
दक्षिण भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में चीनी की मिलें स्थापित हैं। महाराष्ट्र में चीनी मिलों के लिए निम्नांकित सुविधाएँ प्राप्त हैं—
(i) गन्ने की प्रति हेक्टेयर ऊपज अधिक, रस का अधिक मीठा होना और रस अधिक निकलना।
(ii) उपयुक्त जलवायु
(iii) यहाँ चीनी की मिलें स्वयं गन्ने की खेती करती हैं।
(iv) समुद्री तट के कारण निर्यात की सुविधा।
चीनी उत्पादन में आज महाराष्ट्र देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है।
Social Science Class 10th Question Answer
9. भारत के रसायन उद्योग का वर्णन करें।
उत्तर- यह एक विकसित उद्योग में से एक है जो दवाएँ, कीटनाशक, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक की वस्तुएँ आदि का निर्माण करती हैं। औषधी निर्माण में भी भारत का स्थान विकासशील देशों में अग्रणी है। आकार की दृष्टि से भारत का रसायन उद्योग एशिया में तीसरे तथा विश्व में 12वें स्थान पर है।
भारत के औद्योगिक उत्पाद और निर्यात दोनों में इसका योगदान 14 प्रतिशत और सकल घरेलू उत्पाद में 3 प्रतिशत है। रसायन उद्योग के दो भागों में बाँटा गया है। कार्बनिक जिसमें कृत्रिम रेशें, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक की वस्तुएँ एवं औषधियों को शामिल किया जाता है। इसकी स्थापना तेलशोधक संयंत्र तथा पेट्रोकेमिकल संयंत्र के निकट होता है। इसका सर्वाधिक संकेंद्रण मुंबई तथा बड़ोदरा के निकट है।
दूसरा अकार्बनिक रसायन उद्योग जिसमें कीटनाशक रसायन, नाइट्रिक एसिड, सोडा ऐश, सल्फ्यूरिक एसिड इत्यादि का उत्पादन होता है। इसमें गंधकाम्ल (सल्फ्यूरिक एसिड) तथा सोडा ऐश सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
10. भारत में सूचना और प्रौद्योगिकी उद्योग का विवरण दीजिए।
उत्तर- सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को ज्ञान आधारित उद्योग भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें उत्पादन के लिए विशिष्ट नये ज्ञान, उच्च प्रौद्योगिकी और निरंतर अनुसंधान की आवश्यकता रहती है। इस उद्योग के अन्तर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रांजिस्टर, टेलीविजन, टेलीफोन, पेजर, राडार, मोबाइल फोन, जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष उपकरण, कम्प्यूटर इत्यादि आते हैं।
भारत में इसके प्रमुख उत्पादक केन्द्र बंगलूर, मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई इत्यादि है। इसके अलावा देश में 20 साफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित किये गये हैं। वर्तमान समय में यह अत्यधिक रोजगार उपलब्ध करवाने वाला उद्योग बन चुका है।
11. भारत में एलुमिनियम उद्योग का वर्णन करें ।
उत्तर- एलुमिनियम उद्योग भारत का दूसरा सबसे बड़ा धातु उद्योग है। एलुमिनियम का वायुयान, बर्तन, तार इत्यादि बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसका कच्चा माल बॉक्साइट है। बॉक्साइट को गलाने में सर्वाधिक विद्युत ऊर्जा खर्च हो जाती है। अतः इसे वहीं लगाया जाता है जहाँ सस्ती पनबिजली उपलब्ध हो।
एक टन एलुमिनियम बनाने के लिए 6 टन बॉक्साइट और 18,600 किलोवाट बिजली की जरूरत होती है। भारत में एलुमिनियम बनाने के 8 कारखाने हैं, जो उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, केरल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु में स्थित है।
social science class 10 question answer in hindi
12. औद्योगिक प्रदूषण से क्या खतरा उत्पन्न हो रहा है ? इसके निराकरण के लिए सुझाव दें।
उत्तर- औद्योगिक गतिविधियों का सबसे खराब प्रभाव पर्यावरण पर पड़ा है। उद्योगों विशेषकर रासायनिक उद्योगों, सीमेंट, इस्पात, उर्वरक, चमड़ा उद्योग आदि से बड़ी मात्रा. में विषैले गैस निकलकर वायु को प्रदूषित करते हैं। इसी प्रकार कारखाने से निकलने वाले कचड़े को जलाशय में प्रवाहित करने से जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं –
(i) कोयला और खनिज तेल के स्थान पर पनबिजली का उपयोग बढ़ाया जाए।
(ii) कारखाने के कचड़े को पहले उपचारित कर लिया जाए फिर विसर्जित किया जाए।
(iii) कारखाने से निकले प्रदूषित जल को रासायनिक प्रक्रिया से उसे साफ करने के बाद ही जलाशय में गिराना चाहिए।
13. भारत में लौह एवं इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर- खनिज आधारित उद्योगों में लोहा एवं इस्पात का उद्योग काफी महत्त्वपूर्ण है। देश में आधुनिक ढंग का पहला सफल एवं छोटा कारखाना 1874 में कुल्टी (प०बंगाल) में लगाया गया था जबकि आधुनिक ढंग का बड़ा कारखाना 1907 में साकची (जमशेदपुर) नामक स्थान पर टिस्को नाम से खुला। इसके बाद 1919 में बर्नपुर (प०बंगाल) तथा 1923 में भद्रावती (कर्नाटक) में लौह-इस्पात कारखाने खोले गए।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राउरकेला (उड़ीसा), दुर्गापुर (प०बंगाल) एवं भिलाई (छत्तीसगढ़) में इसके कारखाने लगाए गए। तृतीय पंचवर्षीय योजना में बोकारो (झारखंड) में इसका एक कारखाना लगाया गया जो 1974 से कार्यरत है। 20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में तीन और कारखाने सलेम, विशाखापत्तनम और विजयनगर में स्थापित किया गया। वर्तमान समय में लोहा एवं इस्पात के 10 बड़े एवं 200 से अधिक लघु कारखाने हैं। इनमें जमशेदपुर को भारत का बर्मिंघम कहा जाता है।देश में इस उद्योग के स्थानीयकरण की चार प्रवृत्तियाँ दिखती हैं—
(i) लौह-अयस्क क्षेत्र की निकटता
(ii) कोयला क्षेत्र की निकटता
(iii) दोनों की मध्यवर्ती स्थिति और
(iv) बंदरगाह की निकटता।
social science class 10 ncert solutions in hindi pdf
14. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के चार-चार राज्यों का नाम लिखें ।जो चीनी उद्योग में विकसित हैं। इन उद्योगों की प्रमुख समस्या क्या है ?
उत्तर- चीनी उद्योग में विकसित उत्तर और दक्षिण भारत के चार-चार राज्य निम्न हैं।
- उत्तर भारत के राज्य–(i) उत्तरप्रदेश, (ii) बिहार, (iii) पंजाब एवं (iv) हरियाणा।
- दक्षिण भारत के राज्य–(i) महाराष्ट्र, (ii) कर्नाटक, (iii) आंध्रप्रदेश एवं (iv) तमिलनाडु।
चीनी उद्योग की वर्तमान समस्याएँ निम्नलिखित हैं –
(i) गन्ने की खेती का कम होता जाना जिसके कारण कच्चा माल गन्ना कारखाने को नहीं मिल पाता है।
(ii) उच्च कोटि के गन्ने की खेती की कमी,
(iii) उत्तर भारत की मिलें पुरानी हैं उसमें पुराने तकनीक का ही प्रयोग किया जा रहा है।
(iv) विद्युत आपूर्ति आवश्यकता के अनुसार नहीं मिलता है।
(v) गन्ने की खेती में समय अधिक लगता है। इसलिए किसान इसकी खेती करने को लाभप्रद नहीं मानते और नकदी फसल पैदा करने पर बल देते हैं।
Social Science Class 10th Nirmaan Udyog Subjective Question
Class 10th Short Subjective Question Answer |
भारत : संसाधन एवं उपयोग |
कृषि |
निर्माण उद्योग |
परिवहन , संचार एवं व्यापार |
बिहार : कृषि एवं वन संसाधन |
मानचित्र अध्ययन |