bihar-board-class-10th-sanskrit-नीतिश्लोकाः subjective-question

Bihar Board Class 10th Sanskrit नीतिश्लोकाः Subjective Question || Class 10th Sanskrit नीतिश्लोकाः Subjective Question

Bihar Board Class 10th Sanskrit नीतिश्लोकाः Subjective Question : दोस्तों अगर आप Bihar Board Class 10th का Student हैं। और BSEB Class 10th की तैयारी कर रहे हैं। तो यहाँ पर Sanskrit संस्कृत का Subjective Question दिया गया है। जिससे आपको Class 10th की तैयारी करने में काफी आसान हो जायेगा।

Bihar Board Class 10th Sanskrit नीतिश्लोकाः Subjective Question

नीतिश्लोकाः – इस पाठ में व्यासरचित महाभारत के उद्योग पर्व के अन्तर्गत आठ अध्यायों की प्रसिद्ध विदुरनीति से संकलित दस श्लोक हैं । महाभारत युद्ध के आरम्भ में धृतराष्ट्र ने अपनी चित्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था । विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग कर राजनीति के शाश्वत पारमार्थिक उपदेशक दिये थे । इन्हें “विदुरनीति” कहते हैं । इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं ।

नीतिश्लोकाः

1. पण्डित किसे कहा गया है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर- महात्मा विदुर ने पण्डित की व्याख्या बड़े ही रोचक ढंग से की है। उनके मतानुसार पण्डित का अभिप्राय ब्राह्मण या विद्वान से नहीं है। धर्म एवं कर्म प्रवचनीय पण्डित सर्वत्र नहीं होते हैं। जिसका कार्य शीत, ऊष्ण, भय, प्रेम समृद्धि अथवा असमृद्धि में बाधा नहीं पहुँचाता है वही पण्डित है। सभी जीवों के तत्व को जानने वाला, अपने कर्म को योग की तरह जानने वाला ही पण्डित है।

2. नीच मनुष्य कौन है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर- नीच मनुष्य का अभिप्राय निम्न जाति में जन्म लेने वाले से नहीं है। सत् और असत् कर्मों में संलग्न रहने वाला मनुष्य भी नीच की श्रेणी में नहीं आता है। जो बिना बुलाये हुए किसी सभा में प्रवेश करता है, बिना पूछे हुए बहुत बोलता है. नहीं विश्वास करने पर भी बहुत विश्वास करता है। ऐसा पुरुष ही नीच श्रेणी में आता है।

3.नीतिश्लोकाः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- इस पाठ में व्यासरचित महाभारत के उद्योग पर्व के अन्तर्गत आठ अध्यायों की प्रसिद्ध विदुरनीति से संकलित दस श्लोक हैं । महाभारत युद्ध के आरंभ में धृतराष्ट्र ने अपनी चित्तशान्ति के लिए विदुर से परामर्श किया था । विदुर ने उन्हें स्वार्थपरक नीति त्याग कर राजनीति के शाश्वत पारमार्थिक उपदेश दिये थे । इन्हें “विदुरनीति” कहते हैं। इन श्लोकों में विदुर के अमूल्य उपदेश भरे हुए हैं।

4. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर स्त्रियों को क्या विशेषताएँ हैं ?

उत्तर- स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी हैं। ये पूजनीया तथा महाभाग्यशाली हैं। ये पुण्यमयी और घर को प्रकाशित करनेवाली कही गई हैं। अतएव स्त्रियाँ विशेष रूप से रक्षा करने योग्य होती हैं।

5. उन्नति की इच्छा रखनेवाले मनुष्यों को क्या करना चाहिए ?

उत्तर- उन्नति की इच्छा रखनेवाले मनुष्यों को निद्रा (अधिक सोना) तथा तंद्रा (ऊँघना) को त्याग देना चाहिए । इतना ही नहीं भय, क्रोध, आलस्य और काम को टालने की आदत को भी सदा के लिए छोड़ देना चाहिए । नीतिश्लोकाः पाठ में महात्मा विदुर का कथन है कि ये छः दोष अवश्य ही छोड़ देना चाहिए ।

6. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर सुलभ और दुर्लभ कौन है ?

उत्तर- सदा प्रिय बोलनेवाले, अर्थात जो अच्छा लगे वही बोलनेवाले मनुष्य सुलभ हैं। अप्रिय और जीवन को सही मार्ग पर ले जानेवाले वचन बोलने वाले तथा सुनने वाले मनुष्य दोनों ही प्रायः दुर्लभ हैं।

7. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?

उत्तर- ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ महात्मा विदुर-रचित ‘विदुर-नीति’ ग्रंथ से उद्धृत है। इस ग्रंथ में महाभारत तथा भागवत गीता में समान चित्त को शांत करनेवाला आध्यात्मिक श्लोक है। इन श्लोकों में जीवन के यथार्थ पक्ष का वर्णन किया गया है। इससे संदेश मिलता है कि सत्य ही सर्वश्रेष्ठ है। सत्य मार्ग से कदापि विचलित नहीं होना चाहिए।

8. ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर- विदुर-नीति ग्रंथ से नीतिश्लोकाः पाठ उद्धृत है। इसमें महात्मा विदुर मन को शांत करने के लिए कुछ श्लोक लिखे हैं । इन श्लोकों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सांसारिक सुख क्षणिक और आध्यात्मिक सुख स्थायी है। सुंदर आचरण से हम बुरे आचरण को समाप्त कर सकते हैं। काम, क्रोध, लोभ और मोह को नष्ट करके नरक गमन से बच सकते हैं।

9. ‘नीति श्लोकाः पाठ में मूढ़चेतानराधम किसे कहा गया है ?

उत्तर- जिन व्यक्तियों का स्वाभिमान मरा हुआ होता है, जो बिना बुलाए किसी के यहाँ जाता है, बिना कुछ पूछे बक-बक करता है। जो अविश्वसनीय पर विश्वास करता है ऐसा मूर्ख हृदयवाला मनुष्यों में नीच होता है। अर्थात् ऐसी ही व्यक्ति को ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ में मूढचेतानराधम कहा गया है।

10. ‘नीति श्लोका’ पाठ के आधार पर मनुष्य के षड् दोषों का हिन्दी में वर्णन करें।

उत्तर- मनुष्य के छः प्रकार के दोष निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य तथा दीर्घसूत्रता ऐश्वर्य प्राप्ति में बाधक बनने वाले होते हैं। नीतिकार का कहना है कि जिसमें ये दोष पाए जाते हैं वह चाहते हुए भी सुख की प्राप्ति नहीं कर सकता है, क्योंकि अधिक निद्रा के कारण वह कोई काम समय पर नहीं कर पाता है तो तन्द्रावश हर काम में पीछे रह जाता है। भय अर्थात डर के कारण काम आरंभ नहीं करता है तो क्रोध के कारण बना काम भी बिगडता है। इसी प्रकार आलस्य के कारण समय का दुरुपयोग होता है तो दीर्घसूत्रता अथवा काम को कल पर छोड़ने के कारण काम का बोझ बढ़ जाता है । फलतः वह जीवन के हर क्षेत्र में पीछे रह जाता है।

Class 10th Sanskrit पद्य – खण्ड Subjective Question 
📕
मङ्गलम्
📕भारत महिमा
📕नीतिश्लोकाः
📕मन्दाकिनीवर्णनम्