Vitamins are essential for life:नमस्कार दोस्तों जैसे जीवन में संतुलन आवश्यक है वैसे ही शरीर को स्वस्थ एवं अच्छा बनाए रखने के लिए हमारे भोजन में पोषक तत्वों के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में विटामिन का होना जरूरी है। विभिन्न विटामिन भी हमारे खान-पान का वह छोटा सा हिस्सा है जिसकी कमी से स्वास्थ्य खराब हो सकता है इसलिए इस आर्टिकल में हम विटामिंस के बारे में बताने जा रहे हैं इसलिए इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें इसे एक बार पढ़ने के बाद विटामिन से संबंधित मन में चल रहे सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा। (Vitamins are essential for life)
विटामिन के प्रकार
• वसा में घुलनशील विटामिन
• जल घुलनशील विटामिन
वसा में घुलनशील विटामिन→
वसा में घुलनशील विटामिन की बात करें तो या विटामिन वसा की उपस्थिति में उपयोग होते हैं और यदि इन्हें अधिक मात्रा में सेवन कर लिया जाए तो यह हमारे शरीर में जमा हो जाते हैं इसलिए जब आहार के द्वारा इस विटामिन की आपूति नहीं हो पाती है तो शरीर में जमा विटामिन को ही उपयोग होने लगता है जिस खाद पदार्थों में वसा में घुलनशील विटामिन पाया जाता है उस खाद्य पदार्थ को तेल में तलने से वसा में घुलनशील विटामिन नष्ट हो जाते हैं। वसा में घुलनशील विटामिन चार है।
(A) Vitamin-A
(B) Vitamin-D
(C) Vitamin-E
(D) Vitamin-K
Vitamin-A →विटामिन ए को रेटिनोल, कैरोटीन आदि नामों से भी जाना जाता है यह विटामिन अंडा, मांसाहारी भोज्य पदार्थ के साथ-साथ हरी दूब घास खाने वाले गाय या भैंस के दूध में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। शाकाहारी भोजन पदार्थ में गाजर पपीता,पका आम,अंकुरित बीज में भी पर्याप्त मात्रा में कैरोटीन होते हैं जो शरीर में जाकर विटामिन ए का कार्य करते हैं यह विटामिन हमारे आंखों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है यदि विटामिन ए की कमी को समय से पूरा न किया जाए तो आंखे की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है।
हम लोग हड्डियों के लिए कैल्शियम एवं विटामिन डी को आवश्यक मानते हैं परंतु विटामिन ए की कमी से हड्डियां भी प्रभावित हो जाती है हड्डियां पूरी तरह से नहीं बढ़ पाती है।
विटामिन-ए ही त्वचा, आंत, आंख, फेफड़े आदि के एपिथेलियल ऊतक (टिशू) को नर्म व आर्द्र रखता है। यदि विटामिन ए कम होता है तो यह टिशू सूख जाता है, इनमें दरार पड़ती है व घातक जीवाणु आसानी से अंदर प्रवेश कर संक्रमण पैदा कर सकते हैं। अर्थात आपकी ऊपरी व आंतरिक त्वचा को स्वस्थ व सुंदर बनाने में इसकी अहम भूमिका होती है।(Vitamins are essential for life)
Vitamin-D→जब सूर्य का प्रकाश हमारे शरीर के त्वचा पर पड़ता है तो हमारे त्वचा में पाए जाने वाले पदार्थ सूर्य के प्रकाश को अवशोषण करके विटामिन डी में बदल देता है अर्थात सूर्य की किरणें प्राकृतिक रूप से हमारे शरीर को विटामिन डी प्रदान करती है इसलिए दिन में कम से कम आधे घंटे त्वचा को धूप में रखना चाहिए या विटामिन अंडा, मछली के तेल में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इस विटामिन के कमी से हडियाँ एव दात कमजोर हो जाती है। विटामिन डी एकमात्र ऐसा विटामिन है जिसे हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है।
Vitamin-E→यह विटामिन हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थों को निकालने, बीमारियों से बचाने तथा प्रजनन क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विटामिन अंकुरित बीजों में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
Vitamin-K→जब शरीर से खून निकालने लगता है तो यह विटामिन रक्त स्कंदन में मदद करता है जिससे खून निकलना बंद हो जाता है अर्थात यह रक्तस्त्राव विरोधी विटामिन है। यह विटामिन हरी सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं साथ ही हमारी छोटी आंत में कुछ सहायक बैक्टीरिया इसका निर्माण करते हैं।
जल में घुलनशील विटामिन→
जल में घुलनशील विटामिनों में प्रमुख है, विटामिन-बी समूह। जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, यह कई विटामिनों का समूह है, जैसे विटामिन बी1 (थायमिन ), विटामिन बी2 ( राइबोफ्लेविन), बी3 (नियासिन ), फोलिक एसिड, कोबालामिन आदि। ये सभी लगभग एक साथ भोजन में पाए जाते हैं। ये विटामिन स्थूल पोषक तत्व के सही उपयोग के लिए को- एंजाइम के रूप में कार्य करते हैं। दरअसल, एंजाइम शरीर के वे तत्व हैं जो भोजन के स्थूल पोषक तत्वों अर्थात प्रोटीन, वसा व कार्बोहाइड्रेट के उपापचय के लिए आवश्यक हैं परंतु वे तभी कार्य करते हैं जब इनके सहायक को एंजाइम भी होते हैं। तो आप समझ गए होंगे कि विटामिन बी समूह की अनुपस्थिति में ये एंजाइम कार्य नहीं कर सकेंगे और भोजन के वसा, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट का सही चयापचय व अवशोषण नहीं हो पाएगा। इससे कमज़ोरी, चक्कर आना, भूख कम लगना और काम करने की क्षमता में कमी आना आदि शिकायतें हो सकती हैं। रोचक बात यह है कि ये पानी में घुलनशील हैं, अर्थात इनका शरीर में संग्रहण नहीं होता। इन्हें गोलियों या सीरप के रूप में अधिक मात्रा में लेने का भी कोई अर्थ नहीं क्योंकि इनकी अतिरिक्त मात्रा मूत्र के ज़रिए शरीर से निकाल दी जाएगी।
एक और बात, पानी में घुलनशील होने के कारण इनके स्रोतों को अधिक धोने से व अधिक देर तक पानी में भिगोने से भी ये पानी के साथ निकल जाते हैं। शायद बह निकलने की संभावना के कारण ही ये इतनी अधिक मात्रा में भोज्य पदार्थों में पाए जाते हैं। विटामिनों में विटामिन बी1, बी2 व बी3 मोटे अनाजों व दालों में भरपूर होते हैं। गेहूं को जब साबुत पीसा जाता है तो चोकरयुक्त आटा विटामिनों से भरपूर होता है। इसी प्रकार सेला चावल है। चावल को दो-तीन दिन पानी में भिगोकर, भाप में पकाकर, सुखाकर उपयोग किया जाता है। ऐसे में ये आवश्यक तत्व दाने के अंदर चले जाते हैं और बाद में चावल साफ़ करने से इन विटामिनों की क्षति नहीं होती। परंतु अगर हम छना आटा या सफ़ेद पॉलिश किया चावल खाते हैं और बिना छिलके की दालों का उपयोग करते हैं तो हम इन विटामिनों के प्राकृतिक स्रोत से वंचित रह जाते हैं। साबुत अनाज व दालों को अंकुरित करने व भोज्य पदार्थों के ख़मीरीकरण से विटामिन बी व विटामिन-सी की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है। सही मायने में बारिश के मौसम में जब सब्ज़ियां पर्याप्त व अच्छी नहीं मिलतीं तब इन दोनों का अधिक उपयोग करना चाहिए। विटामिन-बी समूह के दो प्रमुख विटामिन हैं, फोलिक एसिड और विटामिन बी12
फोलिक एसिड
हरी सब्ज़ियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। साबुत अनाज, दालें, मांसाहारी भोज्य पदार्थ इसके अच्छे स्रोत हैं। पानी में घुलनशील होने के कारण इसकी बड़ी मात्रा शरीर में संगृहीत नहीं हो पाती। फोलिक एसिड लाल रक्त कोशिकाओं के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है और इसकी कमी से भी एनीमिया होता है।
विटामिन बी12
इसे कोबालामिन भी कहते हैं। यह दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थों, अंडा व मांसाहारी भोज्य पदार्थों से प्राप्त होता है। आंतों के कुछ बैक्टीरिया भी यह विटामिन बनाते हैं। इसलिए शाकाहारी लोगों को कुछ मात्रा में दूध या उसके उत्पाद लेने चाहिए। यह विटामिन भी लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण एवं पाचन तंत्र, हड्डियों आदि के लिए यह बहुत ज़रूरी है।
विटामिन-सी
यह बहुत ही नाज़ुक विटामिन है। यह भरपूर मात्रा में फलों, आंवला, नींबू, अमरूद, आम, पपीता, टमाटर एवं जिस वस्तु को खाकर आप ‘सी-सी’ करते हैं, यानी हरी मिर्च में पाया जाता है। अंकुरित अनाज व दालों में भी मौजूद होता है। दूध व मांसाहारी पदार्थों में यह न के बराबर होता है। शरीर में अवशोषण होने के पश्चात यह ऊतकों में वितरित हो जाता है। विटामिन-सी अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह घाव भरने, लौह लवण का अवशोषण करने एवं संक्रमण को नियंत्रित करने समेत कई आवश्यक पदार्थों को नष्ट होने से बचाने के लिए भी आवश्यक हैं।(Vitamins are essential for life)
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